34 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा हैं। फुरफुरा शरीफ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के जंगीपारा में स्थित एक गांव का नाम है। यहां स्थित हजरत अबु बकर सिद्दीकी की दरगाह बंगाली मुसलमानों की आस्था का केंद्र है। यहां होने वाले सालाना उर्स में बंगाली और उर्दू भाषी मुसलमान बड़ी संख्या में आते हैं। इस दरगाह का बंगाल की 100 से ज्यादा सीटों पर असर है। हालांकि सिद्दीकी परिवार के बाकी सभी सदस्य ममता बनर्जी का सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन अब्बास सिद्दीकी ने लेफ्ट-कांग्रेस के साथ मिलकर संयुक्त मोर्चे का गठन किया है और चुनावी मैदान में हैं।
बंगाल चुनाव के चंद दिनों पहले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) नाम की पार्टी बनाने वाले और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का कहना है कि जिस तरह कांग्रेस, लेफ्ट और TMC ने हिंदु-मुस्लिम से वोट मांगे और सरकारें चलाईं, उसी तरह वे भी हिंदू बहन-भाइयों से वोट मांग रहे हैं और उनकी सेवा करना चाहते हैं। उनका कहना है, 'हमारी पार्टी को जो लोग कम्युनल बता रहे हैं, असल में वो खुद कम्युनल हैं। बंगाल में यदि वोटों में कोई गड़बड़ नहीं की गई तो संयुक्त मोर्चा ही सरकार बनाएगा।' दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बंगाल चुनाव के बारे में अपनी बेबाक राय रखी। पढ़िए, उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
चुनाव के तीन चरण हो चुके हैं। अब आप मौजूदा माहौल को कैसे देख रहे हैं। जीत को लेकर कितना कॉन्फिडेंट हैं?
पहले फेज के वोटिंग में खबर मिली थी कि चाहे जहां स्विच दबा रहे हैं वो जाकर कमल में गिर रहा है। अगर ऐसे वोट हुआ तो इसमें हम क्या सोचेंगे। हम तो बोलेंगे कि सही तरीके से वोट होना चाहिए। तब तो पता चलेगा कि किसके फॉलोअर्स कितने हैं।
लोग आपकी पार्टी को वोट क्यों दें ? आप उनके लिए ऐसा क्या करने वाले हैं कि वो आपको जिताएं ?
हम पिछड़ों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं। जब सरकार बनेगी उन्हें शिक्षा, मकान, नौकरी देंगे। हर मजहब के लोगों को समान रूप से आगे बढ़ने का मौका देंगे।
फुरफुरा शरीफ में ही लोग ममता की स्कीम्स से खुश नजर आ रहे हैं, उनका कहना है कि दीदी ने विकास किया है इसलिए उन्हें वोट देंगे?
ये कुछ लोगों की राय हो सकती है जो TMC से कटमनी खाते हैं। हम तो हर जगह घूमते हैं। मेरा मानना है कि एक सिंडिकेट ही TMC को चाह रहा है।
ममता बनर्जी इन दिनों चंडी पाठ कर रही हैं। उन्होंने अपना गोत्र भी बताया। इसे कैसे देखते हैं?
राजनीति में धर्म को शामिल करना अच्छा नहीं है। आप चंडीपाठ कीजिए। रामायण पढ़िए। गीता पढ़िए। आप राजनीतिक प्लेटफॉर्म से बोल रहे हैं कि मुसलमान तुम कलमा पढ़ो और हिंदू बहन तुम चंडी पाठ करो। यह तो मजहब को ठेस पहुंचाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। ये गलत बात है।