विगत दिनों प्रदेश सरकार की ओर से अपने कामकाज का 21 माह का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया गया सरकार ने दावा किया है कि चालू शासन काल के प्रथम 21 माह के कार्यकाल में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र में जो 502 वादे किए थे उनमें 252 वादे पूरे कर लिए गए हैं, 173 वादों पर काम जारी है और जिन 15त्न वादों पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है उन वादों पर भी बहुत जल्दी ही काम शुरू होने वाला है हालांकि प्रदेश की प्रमुख विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार के 21 माह में किए गए कामकाज के सभी दावों को सिरे से खारिज कर साफ कहा है कि सरकार ने झूठे और मनगढ़ंत दावे किए हैं और प्रदेश में सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुई है विरोधी दल की ओर से सत्तारूढ़ दल के दावों को खारिज किया जाना कोई नई बात नहीं है अगर प्रदेश में भाजपा शासन में होती तो शायद कांग्रेश पार्टी भी इसी तरह से सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान उठाती लेकिन गत 21 माह के शासन काल की जगह विगत 6 माह के सरकार के कामकाज के तरीकों, कोरोना का मैनेजमेंट और घोषणाओं कि ठीक ढंग से समीक्षा करें तो एक बात साफ सामने निकल कर आती है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल में प्रदेश की जनता की तकलीफों को दूर करने की दृढ़ इच्छाशक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है, विगत 6 माह का समयराजस्थान सहित पूरे देश और विश्व में काफी संकटों में बीता है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन कठिन मुश्किल घड़ी में भीषण आर्थिक तंगी के बावजूद जिस तरह से प्रदेश भर में कोरोना के मरीजों के उपचार और कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जो बेहतर और ठोस इंतजाम किए हैं उन्हें झूठा साबित नहीं किया जा सकता हालांकि मरीजों का आंकड़ा अब भी दिनोंदिन तेजी से बढ़ रहा है लेकिन मरीजों की संख्या बढऩे से यह नहीं कह सकते कि सरकार ने कोरोना के इंतजाम ठीक नहीं किए क्योंकि मरीजों की संख्या बढऩे का प्रमुख कारण यही है कि लोग अनलॉक में बेपरवाह हो गए हैं और कोरोना की गाइड लाइन का बिल्कुल भी पालन नहीं कर रहे हैंऐसे में सरकार चाहे जितने इंतजाम कर ले, कोरोना के मरीज हर हाल में बढ़ेंगे,सीएम गहलोत प्रदेश में कोरोना के दस्तक देने के पहले दिन से ही कोरोना को लेकर बेहद सजग चौकस हो गए और उन्होंने जिस तरह से कोरोना की इस अवधि में एक-एक दिन में सुबह से लेकर देर रात तक कोरोना के संबंध में नियमित रूप से अनेकोंसमीक्षा बैठकें आयोजित की और कोरोना के साथ-साथ प्रदेश के सभी सरकारी विभागों के कामकाज की भी समीक्षा करते रहे उससे विभागों के अफसरों के अलावा मंत्रियों में भी कोरोना की इस अवधि में काम करने की दक्षता बनी रही देशभर के मुख्यमंत्रियों की गत 6 महीने के कामकाज के तरीकों की समीक्षा करें तो गहलोत अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सरकारी कामकाज के संबंध में सबसे ज्यादा समीक्षा बैठकें आयोजित करवाई है, कई बार ऐसा भी देखा गया जब डॉक्टरों ने गहलोत को बेड रेस्ट के लिए कहा लेकिन गहलोत डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज कर एक-एक दिन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेशभर के अधिकारियों कर्मचारियों सामाजिक संगठनों व्यापारियों, चिकित्सकों, विभिन्न कर्मचारी संगठनों किसानों मजदूरों यहां तक कि सफाई कर्मचारियों से भी बातचीत की और कोरोना की रोकथाम के संबंध में सभी लोगों से सुझाव मांगे और अपनी ओर से उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए, गहलोत का इस तरह से कोरोना की महामारी के बीचसरकारी कामकाज में व्यस्त रहने का सीधा असर मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी पड़ा और इन सब ने भी बड़ी मुस्तैदी से अपने कप्तान का साथ दिया जिसका नतीजा यह रहा कि पूरे भारतवर्ष में कोरोना के मैनेजमेंट में गहलोत सरकार की जमकर प्रशंसा हुई इसलिए विपक्ष अगर विगत 6 माह के सरकार केकामकाज पर उंगली उठाता है तो वह अपने आप ही झूठा साबित हो रहा है क्योंकि पूरा देश यहां तक कि पीएम मोदी भी गहलोत सरकार के कोरोना काल के कामकाज की प्रशंसा कर चुके हैं, अब 21 में से विगत 6 माह निकाल दें तो बाकी के 15 माह के कामकाज का विश्लेषण करें तो इन 15 माह के दौरान भी गहलोत के सामने ढेरों समस्याएं सामने आई, चाहे उन्हें अपनी ही पार्टी की समस्याओं से जूझना पड़ा हो, या फिर लोकसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लागू हो, राज्यसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो, नगर निकाय या पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव में आचार संहिता लागू हो, या फिर प्रदेश में अचानक आई भीषणप्राकृतिक आपदा हो या फिर सबसे बड़ी बाधा सरकारी कोष का खजाना खाली हो इन तमाम बड़ी बाधाओं के बावजूद भी गहलोत के चेहरे पर प्रदेश की जनता की तकलीफों को हर हाल में दूर करने की पीड़ा साफ झलकती रही और उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद भी प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने के रास्ते निकाले हैं, भर्तियां खोली है, काफी हद तक किसानों के कर्ज भी माफ किए हैं, चिकित्सा के क्षेत्र में प्रदेश में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है और खेती और किसान दोनों को उन्नत बनाए जाने के प्रयास भी सरकार की ओर से किए जा रहे हैं, प्रदेश में हाई प्रोफाइल शिक्षा के क्षेत्र में भी विकास देखा जा सकता है, पानी और बिजली यह दोनों ऐसे विभाग हैं जिनमें चाहे आप चाहे जितना काम कर लो फिर भी काम नजर नहीं आता इसलिए सरकार ने काम किया भी है तो विपक्ष को दिख नहीं रहा, जहां तक उद्योगों का सवाल है गहलोत सरकार ने निवेशकों के लिए राह आसान की है लेकिन निवेशक काफी बुद्धिमान लोग होते हैं वह सोच विचार कर ही कदम उठाते हैं इसलिए आने वाले दिनों में पता चलेगा कि निवेशक गहलोत सरकार की योजनाओं का कितना फायदा उठाते हैं जहां तक रियल एस्टेट के कारोबार का सवाल है यह कारोबार पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल के दौरान ही पटरी से नीचे उतर चुका था अब जब कोरोना की अवधि में गरीब से लेकर अमीर तक सब की गाड़ी पटरी से उतरी हुई है तो फिर सरकार चाहे जितने उपाय कर ले रियल एस्टेट कारोबार को उठने में टाइम लगेगा जहां तक महिला अत्याचार और अपराधों का सवाल है प्रदेश में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार रही हो एक जैसे हालात ही देखने को मिलते हैं इसलिए भाजपा को अपराध के नाम पर राजनीति करने से पहले अपने गिरेबान में भी झांक कर देखना होगा, देखा जाए तो विगत 21 माह में सरकार को काम करके दिखाने का ज्यादा वक्त ही नहीं मिला क्योंकि आधे से ज्यादा वक्त तो विभिन्न तरह केचुनाव कराए जाने में ही खर्च हो गया फिर भी गहलोत सरकार ने 21 माह में जन घोषणा पत्र में किए गए 50त्न वादे पूरा करने की बात कही है तो उसे गलत साबित करने का कोई बड़ा कारण नजर नहीं आ रहा क्योंकि प्रदेश के शासन की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब पहली कैबिनेट बैठक आहूत की थी उसी समय उन्होंने जन घोषणा पत्र को नीतिगत दस्तावेज मान लिया था किसी सरकार का जन घोषणा पत्र को नीतिगत दस्तावेज मानना एक बहुत बड़ी बात होती , नीतिगत दस्तावेज मानना यह दर्शाती है कि सरकार जन घोषणा पत्र में किए गए सभी वादों को हर हाल में पूरा करेगी इसलिए अभी सरकार के 3 साल बाकी है हालांकि विगत 6 माह में प्रदेश की आर्थिक हालत जो पहले से ही काफी बिगड़ी हुई थी अब और बिगड़ गई है प्रदेश की इनकम आधे से भी कम हो गई है इसलिए सरकार चाहते हुए भी अपने मन मुताबिक विकास काम शुरू नहीं कर पाएगी लेकिन इसके बावजूद भी विगत कुछ माह में कोरोना की अवधि में भी जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजधानी जयपुर कोटा उदयपुर सहित पूरे प्रदेश भर में करोड़ों रुपए के अनेकों विकास कामों का शिलान्यास और लोकार्पण किया है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जन घोषणा पत्र में किए गए सभी वादों को गहलोत सरकार अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले जरूर कर लेगी क्योंकि गहलोत खुद जन घोषणा पत्र में किए गए वादोंको लेकर प्रत्येक मंत्री से बराबर अपडेट लेते रहते हैं।
-रामेश्वरलाल जाट,
संपादक, मों. नं.- ७०१४२१७७७०