90 का दशक देश दुनिया के लिए युगांतकारी रहा। सोवियत संघ के विघटन के साथ शीत युद्ध की समाप्ति हुई। 30 साल पहले देश का कायाकल्प करने वाले आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। अब एक बार फिर देश-दुनिया तेज बदलाव के मुहाने पर है। इन बातों का जिक्र रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एक अखबार के लिए लिखे आर्टिकल में किया है। उन्होंने कहा है कि सब कुछ अभूतपूर्व है और भारत का समय आ गया है।
उदारीकरण से उद्यमिता की ऊर्जा को नया आयाम मिला
अंबानी का कहना है कि देश आज नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है। उन्होंने अपनी बात को सपोर्ट देने वाली कई बातों का जिक्र किया है। उनके मुताबिक, उदारीकरण से आर्थिक तरक्की का जो बीज रोपा गया था, वह आज विशाल पेड़ बन गया है। उसने लाइसेंस कोटा राज को खत्म कर दिया, व्यापार और औद्योगिक नीतियों को उदार बनाया, पूंजी और वित्त बाजार को खोल दिया। उन सबसे देश की उद्यमिता की ऊर्जा को नया आयाम मिला और तरक्की का राजमार्ग खुल गया।
देश की समृद्धि, सबकी बराबरी वाले सूत्र पर आधारित होगी
अंबानी का कहना है कि भारत 1991 के अभाव वाले समय से निकल कर 2021 में आत्मनिर्भरता वाली स्थिति में आ गया है। तब सिर्फ 266 अरब डॉलर वाली इंडियन इकोनॉमी आज दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी हो गई है। अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत हो गई है कि 2051 तक भारत आर्थिक रूप से संपन्न देशों में शामिल हो जाएगा। इसकी समृद्धि, सबकी बराबरी वाले सूत्र पर आधारित होगी।
2047 तक तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकता है
2047 में आजादी के सौवें साल तक देश अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकता है। अंबानी ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि यह लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने अपने पिता धीरूभाई अंबानी की बार-बार कही जाने वाली बात दोहराई- भारतीयों को छोटा सोचने वाली बात अब जमती नहीं। मुकेश ने कहा कि समृद्धि के अनूठे आत्मनिर्भर भारत के मॉडल और दुनिया से सहयोग करते हुए उससे सही सबक लेकर सब मुमकिन किया जा सकता है। अंबानी ने इसके लिए पांच सूत्र दिए हैं: