राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी पर कोर्ट ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी पर कोर्ट ने उठाए सवाल


जयपुर टाइम्स
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से इन्कार कर दिया हो लेकिन इस वर्ष परीक्षा में हुई गड़बडि़यों के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को कठघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने एनटीए के आचरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक हुई चर्चा से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि नीट की शुचिता प्रणालीगत स्तर पर दूषित हुई, लेकिन एनटीए ने इस वर्ष जिस तरह परीक्षा कराई है, वह गंभीर चिंताओं को जन्म देता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बहाना नहीं हो सकता कि परीक्षा हजारों सेंटर पर हुई थी या परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था।

भविष्य में चाक चौबंद व्यवस्था की नसीहत:

नीट जैसी परीक्षा आयोजित करने के लिए एनटीए के पास पर्याप्त फंडिंग, समय और मौका था। सर्वोच्च अदालत ने भविष्य में परीक्षा के लिए चाक चौबंद व्यवस्था की नसीहत देते हुए कहा कि सिस्टम ऐसा होना चाहिए जिसमें लोगों का भरोसा जगे।

सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया कमेटी का दायरा:

एनटीए में सुधार के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय कमेटी का दायरा बढ़ाते हुए कमेटी से परीक्षा को फूलप्रूफ बनाने के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर विचार कर रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी बताया है कि किन किन पहलुओं पर कमेटी विचार करेगी।

अब 30 सितंबर तक रिपोर्ट देगी कमेटी:

सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का समय बढ़ाते हुए उसे 30 सितंबर तक शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। कहा है कि कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद शिक्षा मंत्रालय एक महीने में रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा। सिफारिशों पर अमल के बारे में निर्णय लेने के दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगा। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने नीट में गड़बड़ियों और पेपर लीक मामले में दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि कई चीजें ऐसी हैं जिसके कारण नीट पर सवाल खड़ा होता है। प्रश्नपत्र पटना और हजारीबाग में लीक हुआ। एक केंद्र में स्ट्रांग रूम का पीछे का दरवाजा खुला था और अनधिकृत व्यक्ति को प्रश्नपत्र मिला। इससे संकेत मिलता है कि सुरक्षा में गंभीर खामी थी। एनटीए को प्रभावी और कड़े सुरक्षा मानकों को लागू करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये भी पता चला कि प्रश्नपत्र ई-रिक्शा से भेजे गए और प्राइवेट कोरियर कंपनियों की सेवाएं ली गईं। याचिकाकर्ता ने सही मुद्दा उठाया है कि एनटीए ने परीक्षा के बाद ओएमआर शीट सील करने के लिए कोई समय निश्चित नहीं किया था। निश्चित टाइम तय न होने से बेइमान लोग छात्रों की ओर से ओएमआर शीट जमा करने के बाद उसमें हेरफेर कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि दूसरा चिंता का विषय यह है कि एनटीए ने उस लोगों पर भरोसा किया जिन पर वह सीधी नजर नहीं रख सकता था। कोर्ट ने कहा कि कई तरीके अपनाए जा सकते थे जिससे परीक्षकों पर नजर रखना सुनिश्चित होता और अनियमित तरीकों की गुंजाइश कम होती। इतना ही नहीं कोर्ट ने गलत प्रश्नपत्र बांटे जाने और ग्रेसमार्क का मुद्दा भी उठाया है।

प्रोटोकॉल तैयार करने का निर्देश:

कोर्ट ने एनटीए से विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार करके एक प्रोटोकाल तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने एनटीए से कहा है कि फैसले में उठाए गए सभी पहलुओं पर वह ध्यान दे। साथ ही केंद्र की ओर से गठित कमेटी से भी सिफारिश करते समय इन मुद्दों को ध्यान में रखने को कहा है।

कमेटी का दायरा बढ़ाया:

कोर्ट ने केंद्र की ओर से गठित सात सदस्यीय कमेटी से कहा है कि वह सरकार और एनटीए की ओर से बताए गए पहलुओं के अलावा निम्न मुद्दों पर भी विचार कर सिफारिश दे। परीक्षा की सुरक्षा और प्रशासन के बारे में आकलन करे सुधार का तंत्र सुझाए। इसमें प्रश्नपत्र सेट होने से लेकर रिजल्ट घोषित होने तक कठोर चेक एंड बैलेंस सुनिश्चित होने चाहिए।