नई शिक्षा नीति के खिलाफ जंतर मंतर पर शिक्षकों का देशव्यापी प्रदर्शन

नई शिक्षा नीति के खिलाफ जंतर मंतर पर शिक्षकों का देशव्यापी प्रदर्शन

 

नई दिल्ली। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (एआईफुक्टो) के आह्वान पर नई शिक्षा नीति के विरोध में सोमवार को जंतर मंतर पर देशभर के सैकड़ों शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। इस विशाल धरने में 20 से अधिक राज्यों के शिक्षक शामिल हुए, जिनमें राजस्थान से भी बड़ी संख्या में कॉलेज शिक्षक पहुंचे।  

नई शिक्षा नीति पर गंभीर आरोप  
धरने में रुक्टा (राजस्थान यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन) के महामंत्री प्रो. बनय सिंह ने नई शिक्षा नीति पर निशाना साधते हुए कहा कि यह निजीकरण, बाजारीकरण और सांप्रदायीकरण को बढ़ावा देती है। उन्होंने मांग की कि इस नीति को तुरंत रद्द किया जाए और शिक्षा के धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक, और लोकतांत्रिक स्वरूप की रक्षा की जाए।  

शिक्षा बजट और पेंशन पर जोर*  
प्रो. सिंह ने केंद्र सरकार से शिक्षा के बजट को जीडीपी का 10% करने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने और आठवां वेतन आयोग लागू करने की मांग की। उन्होंने राजस्थान सरकार पर "कायाकल्प योजना" के जरिए उच्च शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया और 340 राजसेस सोसाइटी कॉलेजों को सरकारी क्षेत्र में नियमित करने की मांग की।  

देशभर से शिक्षकों की भागीदारी  
धरने में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, नागालैंड, असम, केरल और तमिलनाडु समेत कई राज्यों के शिक्षक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने नई शिक्षा नीति को लोकतांत्रिक और वैज्ञानिक मूल्यों के खिलाफ बताया और इसके विरोध में अपने संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया।  

यह प्रदर्शन शिक्षा नीति में बदलाव की मांग और शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।