सौर ऊर्जा लाइटों की दुर्दशा: सरकारी उदासीनता से ग्रामीण परेशान

सौर ऊर्जा लाइटों की दुर्दशा: सरकारी उदासीनता से ग्रामीण परेशान

सुमेरपुर। ग्राम पंचायत बामनेरा और उसके आसपास के गांवों में स्थापित सौर ऊर्जा लाइटें अब शोपीस बनकर रह गई हैं। इन लाइटों के बंद होने से ग्रामीणों को रात के समय अंधेरे में गुजरना पड़ रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा और दैनिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं।

लाइटों की खराबी और रखरखाव की कमी

ग्रामीणों के अनुसार, पोयणा गांव में एक दर्जन से अधिक सौर ऊर्जा लाइटें लगाई गई थीं, लेकिन अब एक भी लाइट चालू नहीं है। देखभाल और मरम्मत के अभाव में ये लाइटें कबाड़ में तब्दील हो गई हैं। कई लाइटों की बैटरियाँ गायब हैं, जबकि अन्य तकनीकी खराबियों के कारण बंद पड़ी हैं। ग्राम पंचायत प्रशासन की अनदेखी के चलते यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

**ग्रामीणों की शिकायतें और प्रशासन की उदासीनता

ग्रामीणों ने कई बार सरपंच और ग्राम पंचायत अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ महीनों पूर्व ग्राम पंचायत द्वारा खराब लाइटों की बैटरियाँ खोलकर ले जाई गई थीं, लेकिन उनकी मरम्मत या पुनःस्थापना नहीं की गई। इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है और वे प्रशासन की उदासीनता से निराश हैं।

सौर ऊर्जा योजना का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति

सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोशनी की सुविधा प्रदान करने के लिए सौर ऊर्जा लाइटें स्थापित की थीं, ताकि ऊर्जा की बचत हो सके और पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिले। हालांकि, रखरखाव की कमी और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह योजना अपने उद्देश्य में विफल होती नजर आ रही है। गांवों में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है, जिससे ग्रामीणों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष

सौर ऊर्जा लाइटों की खराबी और प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है। आवश्यक है कि संबंधित विभाग और ग्राम पंचायत प्रशासन इस ओर ध्यान दें और शीघ्र ही लाइटों की मरम्मत या पुनःस्थापना करें, ताकि ग्रामीणों को रोशनी की सुविधा मिल सके और उनकी दैनिक जीवन की कठिनाइयाँ कम हो सकें।