RSS में महिलाओं की एंट्री पर फिर सवाल: पदाधिकारी बोले- सेविका समिति ही काफी, प्रचारिकाएं बोलीं- हम ही हैं संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महिलाओं की सीधी भागीदारी को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ी है। डेढ़ साल पहले सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने पुणे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का संकेत दिया था, लेकिन अब तक जमीन पर कोई ठोस बदलाव नहीं दिखा। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि 89 साल से राष्ट्र सेविका समिति महिलाओं के लिए संघ जैसी ही भूमिका निभा रही है, वहीं कई प्रचारिकाएं मानती हैं कि वे खुद ‘संघ’ हैं और अलग से प्रवेश की आवश्यकता नहीं। सवाल यह है कि क्या संघ महिलाओं को अपने संविधान में बदलाव कर शाखाओं में सीधी भागीदारी देगा या फिर राष्ट्र सेविका समिति तक ही सीमित रखेगा? अब तक हुए 73 सम्मेलनों में 1.23 लाख महिलाओं की भागीदारी से यह मुद्दा फिर प्रासंगिक हो गया है।