केरल के लॉन्ग जंपर मुरली श्रीशंकर ने इस साल की शुरुआत में फेडरेशन कप में नेशनल रिकॉर्ड के साथ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया। उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में 8.26 मीटर छलांग लगाई थी। ओलिंपिक के लिए क्वालीफिकेशन सीमा 8.22 मीटर निर्धारित की गई थी। श्रीशंकर ने इससे पहले 2018 में 8.20 मीटर छलांग लगाकर भी नेशनल रिकॉर्ड बनाया था।
श्रीशंकर का सपना ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीतना है। इसलिए उन्होंने एमबीबीएस में एडमिशन के लिए 2017 में एग्जाम पास करने के बाद भी दाखिला नहीं लिया। वे 2018 में एशियन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। ओलिंपिक में उनकी उम्मीदों और तैयारी को लेकर दैनिक भास्कर ने उनसे विशेष बातचीत की। आप भी पढ़िए…
लॉन्ग-जंप में आप कैसे आए? क्या आप अपने पैरंट्स से प्रभावित होकर एथलेटिक्स में आए?
मेरे मम्मी-पापा दोनों स्पोर्ट्सपर्सन हैं। वे दोनों साउथ एशियन गेम्स और अन्य अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। घर के अन्य सदस्य भी स्पोर्ट्स में भाग लेते थे। मेरे मम्मी-पापा जब भी ग्राउंड में जाते, तो मैं भी उनके साथ ही जाता था। धीरे-धीरे मेरा इंटरेस्ट इसमें बढ़ गया। शुरुआत में मैं स्प्रिंट इवेंट करता था।
जब मैं चौथी क्लास में था, तो मैं 100 और 50 मीटर में स्टेट लेवल पर मेडल भी जीता, लेकिन दसवीं क्लास में आने के बाद पापा ने मुझे लॉन्ग-जंप करने की सलाह दी। वे कहते थे कि मेरा जंप काफी बेहतर है। बचपन में उन्होंने इसलिए मुझे नहीं करने दिया, ताकि चोट न लगे। दसवीं क्लास में आने के बाद मैंने पापा के मार्गदर्शन में ही लॉन्ग-जंप करना शुरू किया और नेशनल और स्टेट स्तर पर मेडल जीतने में सफल रहा। तब से मैं इस पर ही फोकस करने लगा।
आपने 10वीं और 12वीं सीबीएसई बोर्ड से की और दोनों में 90 प्रतिशत से ऊपर रहा? ऐसे में स्पोर्ट्स और एजुकेशन के बीच संतुलन कैसे कायम किया?
जी मैंने केंद्रीय विद्यालय से 10वीं और 12वीं की है और दोनों में मुझे 90 प्रतिशत से ज्यादा मार्क्स मिले थे। 12वीं में मैंने साइंस लिया था। मैंने 2017 में मेडिकल एग्जाम भी पास किया, लेकिन मैंने एमबीबीएस नहीं किया, क्योंकि मेरा लक्ष्य ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना था। डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ खेल संभव नहीं था। फिर मैंने इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया, लेकिन इसे भी आगे जारी नहीं रख सका और अब मैं बीएससी थर्ड ईयर में हूं। मैंने खेल और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाए रखा। आप दोनों को अलग-अलग नहीं कर सकते हैं। इसलिए मैं ट्रेनिंग से आने के बाद देर रात तक पढ़ाई करता था।
क्या आपको लगता है एमबीबीएस छोड़ने का फैसला सही था? क्या आपके इस फैसले पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई?
2017 में मैंने एग्जाम क्लीयर कर लिया था, लेकिन एडमिशन नहीं लिया। इसका मुझे पछतावा नहीं है। मेरा लक्ष्य ओलिंपिक मेडल लाना है। मेरा मानना है कि ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना और मेडल लाना डॉक्टर और इंजीनियर बनने से कहीं ज्यादा बेहतर है। क्योंकि आप दुनिया के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट में भाग लेते हैं और देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका अहसास अलग ही होता है।
मेरे इस फैसले पर मेरे टीचर ने आपत्ति जताई थी। उनका मानना था कि एमबीबीएस करना चाहिए क्योंकि हर कोई इस एग्जाम को क्लीयर नहीं कर पाता है और मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेना चाहिए था, लेकिन मैं खेल के साथ इसे जारी नहीं रख सकता था। ओलिंपिक के लिए काफी ट्रेनिंग की जरूरत थी। मैं सात-आठ घंटे ट्रेनिंग में देना चाहता था, ऐसे में यह संभव नहीं था।
ओलिंपिक को लेकर आपकी कैसी तैयारी है? क्या आप पर इतने बड़े टूर्नामेंट को लेकर कोई मानसिक दबाव है?
मैं अपने घर केरल के पलकर में रहकर ओलिंपिक की तैयारी कर रहा हूं। मेरी तैयारी में जेएसडब्ल्यू ने भी पूरा सहयोग किया है। हालांकि कोरोना की वजह से ओलिंपिक से पहले कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं है। वहीं कोरोना की वजह से कई देशों ने यात्रा पर बैन लगा दिया है। ऐसे में कोई बड़ा कॉम्पिटीशन नहीं मिल पा रहा है। हालांकि इंटर स्टेट और ग्रां प्री के बाद यूरोप जाने की योजना है। अगर यूरोप जाने की इजाजत मिलती है, तो मैं यूरोप में जाकर ट्रेनिंग करूंगा। वहां से टोक्यो के लिए जाऊंगा। वहीं मैं टोक्यो को लेकर उत्साहित हूं, लेकिन किसी तरह का कोई मानसिक दबाव नहीं है।
आपने मार्च में 8.26 मीटर कूद कर ओलिंपिक में क्वालीफाई किया? ओलिंपिक में मेडल को लेकर आपको कितना भरोसा है।
जी ओलिंपिक में 100 मीटर और लॉन्ग जंप में मेडल जीतना आसान नहीं है। मैंने मार्च में 8.26 मीटर के साथ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया। मेरा यह प्रदर्शन रियो ओलिंपिक के टॉप सिक्स में शामिल जंपर के बराबर है। मेरा मानना है कि अगर टोक्यो से पहले दो-तीन इंटरनेशनल स्तर पर कॉम्पिटीशन मिले, तो मैं मेडल जीत सकता हूं। आपका प्रदर्शन एक-दो कॉम्पिटीशन के बाद ही सामने आ पाता है।
लॉकडाउन को आप किस रूप में लेते हैं?
लॉकडाउन की वजह से टोक्यो ओलिंपिक जो पिछले साल जुलाई-अगस्त में होना था, उसे एक साल के लिए टाल दिया गया, लेकिन मुझे लगता है कि इससे हमें तैयारी करने के लिए समय मिल गया। लॉकडाउन से पहले मैं पटियाला में था, लेकिन कोरोना की वजह से कैंप स्थगित हो गया। मैं केरल चला गया। एक हफ्ते बाद लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। हालांकि एक हफ्ते बाद मुझे घर के पास ही स्टेडियम में ट्रेनिंग की इजाजत मिल गई थी। मैंने इस दौरान अपनी कमियों को दूर किया। नतीजा ये रहा था कि मैंने ओलिंपिक के लिए अपने बेस्ट परफॉरमेंस के साथ क्वालीफाई किया।