रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में बाघिन की मौत पर टीकाराम जूली ने जताई चिंता न्यायिक जांच की मांग  

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में बाघिन की मौत पर टीकाराम जूली ने जताई चिंता न्यायिक जांच की मांग  

अलवर/जयपुर। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य की बाघिन आरवीटी-22 (टी 102) की विषम परिस्थितियों में हुई मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस दुर्लभ बाघिन की मौत प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा और अभयारण्यों के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जूली ने बताया कि बाघिन का कंकाल आठ से दस दिन पुराना है और घने जंगल में खोज अभियान के दौरान मिला है। इससे पहले बाघिन के 13 माह के एक शावक की भी तीन माह पूर्व विषम परिस्थितियों में मौत हो चुकी थी, जबकि एक शावक अब भी लापता है।

उन्होंने कहा कि रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में बाघिन को 27 माह पहले रणथंभौर से शिफ्ट किया गया था, लेकिन हाल ही की घटनाएं वन्य जीव अभयारण्यों की निगरानी और उनके भोजन-पानी के इंतजामों पर गंभीर प्रश्न खड़े करती हैं। जूली ने सरिस्का अभयारण्य में भी ऐसी ही परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को बाघों और वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए।  

जूली ने बाघिन की मौत के कारणों की न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि इसके सभी पहलुओं को उजागर किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।