नुवां में वीआर लैब की स्थापना, छात्रों को मिला नई शिक्षा पद्धति का अनुभव

जयपुर टाइम्स 
रतनगढ़(निस.)। सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल, नुवां (रतनगढ़) में विद्यार्थियों को वर्चुअल रियलिटी हेडसेट के माध्यम से इतिहास, अंतरिक्ष यात्रा, डायनासोर टूर आदि दिखाया गया, जिसमें छात्रों ने अत्यधिक रुचि और उत्साह के साथ भाग लिया। इस अभिनव शिक्षा प्रणाली की शुरुआत इस सत्र से दिनेश ने की। छात्रों ने इसे न केवल ज्ञानवर्धक बल्कि अत्यंत रोमांचक पाया। विद्यालय में आधिकारिक रूप से वीआर लैब की स्थापना की गई, जिससे शिक्षा में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है।इस विशेष वीआर सत्र के दौरान रमेश सर, किशोर  सर, निलेश  सर, बलबीर  सर, मीना मैम, नरेश  सर, रामगोपाल  सर, कविता मैम, देवकरण  सर, सुनील  सर समेत कई अन्य शिक्षक उपस्थित रहे। वीआर सत्र ने छात्रों को ऐसा अनुभव कराया जैसे वे खुद उन ऐतिहासिक और वैज्ञानिक स्थलों पर मौजूद हों, जिससे उनके सीखने का अनुभव न केवल रोचक बल्कि प्रभावशाली भी हो गया।  एक छात्र ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वीआर शिक्षा के माध्यम से हमें पढ़ाई करने का बेहतरीन अवसर मिला है। इसमें हम न केवल विषय को समझते हैं बल्कि उसे वास्तविक रूप से अनुभव भी कर सकते हैं। यह शिक्षा का एक अद्वितीय तरीका है, जो सीखने की प्रक्रिया को मजेदार और सार्थक बनाता है।" प्रधानाचार्य ने भी इस अवसर पर छात्रों को संबोधित किया और बताया कि वीआर शिक्षा  के आधुनिक युग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक उत्कृष्ट पहल है। यह विद्यार्थियों के मस्तिष्क और मानसिक विकास को एक नई दिशा देगी। इस तकनीक से बच्चों का ज्ञानवर्धन होगा और उन्हें एक नया अनुभव मिलेगा।" प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि वीआर के माध्यम से शिक्षा को अधिक सहज और व्यावहारिक बनाया जा सकता है, जिससे छात्रों की सीखने की क्षमता बढ़ेगी और वे विषयों को गहराई से समझ सकेंगे। वीआर लैब की स्थापना के साथ ही सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नुवां अब एक नई दिशा में अग्रसर हो रहा है। यह लैब छात्रों को वर्चुअल दुनिया के माध्यम से विज्ञान, इतिहास और अन्य विषयों का अनुभवात्मक ज्ञान प्रदान करेगी। शिक्षकों ने भी इस नई तकनीक को शिक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी बताया और इसे छात्रों की बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने का एक प्रभावी माध्यम माना। इस शुरुआत ने न केवल विद्यालय के बच्चों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं, बल्कि इसे अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी प्रेरणादायक माना जा रहा है।