‘मजदूरी करें या बच्चे को स्कूल छोड़ें’: यूपी में स्कूलों के मर्जर से ग्रामीणों में रोष, टीचर्स बोले- गरीब बच्चों की पढ़ाई पर संकट

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के फैसले से ग्रामीण इलाकों में नाराजगी बढ़ रही है। अलीगढ़ के दौलताबाद गांव में स्थित एकमात्र प्राइमरी स्कूल बंद होने की कगार पर है, जिससे स्थानीय लोग चिंतित हैं। अब बच्चों को दो किलोमीटर दूर पिलखुनिया स्कूल जाना होगा, लेकिन वहां तक पक्की सड़क नहीं, केवल पगडंडी है।
बृजमोहन जैसे कई अभिभावकों का कहना है कि उन्हें मजदूरी करनी होती है, ऐसे में रोज छोटे बच्चों को इतनी दूर छोड़ने जाना मुश्किल है। "हमारे जैसे गरीब बच्चों का भविष्य कौन देखेगा?"—यह सवाल अब आम होता जा रहा है।
राज्य सरकार ने 16 जून 2025 को आदेश जारी किया था कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र हैं, उन्हें पास के अन्य स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इस फैसले से प्रदेश के करीब 5 हजार प्राइमरी स्कूल प्रभावित हो सकते हैं।
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा का स्तर सुधारने के नाम पर लिए गए इस निर्णय से गरीब और दूरदराज के बच्चों की पढ़ाई ही छिन जाएगी। वहीं सरकार इसे संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कदम बता रही है। लेकिन जमीन पर यह फैसला अब सामाजिक और आर्थिक चिंता का विषय बन गया है।