स्कूल शिक्षा की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक
शिक्षक विद्यार्थियों को हर क्षेत्र में ‘द बेस्ट‘ बनाने का संकल्प लें- शिक्षा मंत्री
चूरू/जयपुर। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के टीचर्स अपने ज्ञान, अनुभव और क्षमता का उपयोग इस प्रकार करे, जो स्कूलों से निकलने विद्यार्थियों को हर क्षेत्र में अपनी ‘बेस्ट परफोमेर्ंस‘ देने के योग्य बनाए। चाहे विद्यालयों में पढ़ाने की बात हो या फिर एडमिनिस्ट्रेटिव रोल, शिक्षक अपनी विद्या और शक्ति का सांगोपांग उपयोग विद्यार्थियों और स्कूलों के सवार्ंगीण विकास में करने का संकल्प लें।
शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला शुक्रवार को जयपुर में दुर्गापुरा स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मैनेजमेंट (सियाम) में स्कूल शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक एवं कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप प्रदेश के विद्यालयों को ‘नॉलेज सेंटर‘ के रूप में विकसित करने के लिए मौजूदा सरकार के कार्यकाल में दूरगामी सोच के साथ कई अनूठी योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू किया गया है, नए शैक्षणिक सत्र में उनका पूरा लाभ विद्यार्थियों को दिलाने की दिशा में ठोस कार्य हो।
इफेक्टिव सुपर विजन और प्रबंधकीय कौशल पर जोर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नामांकन में बढ़ोतरी, ड्रॉप आऊट में कमी और विद्यार्थियों की कक्षाओं में नियमित उपस्थित सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा जारी नए सत्र के शैक्षणिक कैलेंडर की गतिविधियों और कार्यक्रमों को समयबद्ध रूप से लागू किया जाए। इसके लिए सभी स्तरों पर अधिकारी प्रबंधकीय कौशल का उपयोग कर निर्धारित नॉर्म्स के अनुसार स्कूलों का नियमित अंतराल पर इफेक्टिव सुपरविजन करे। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक कैलेंडर में अलग-अलग अंतराल पर टेस्ट, हाफ ईयरली एग्जाम और फिर वार्षिक परीक्षाओं को संयोजन इस प्रकार किया गया है, जिससे विद्यार्थी पूरे वर्ष पाठ्य पुस्तकों का सम्पूर्ण रूप से अध्ययन कर सभी विषयों का पूरा नॉलेज गेन कर सके। छात्र-छात्राओं को परीक्षा के समय उत्तीर्ण होने के लिए पास बुक या वन वीक सीरीज के उपयोग से बचते हुए वर्ष पयर्ंत पाठ्य पुस्तकों का गहराई से अध्ययन करना चाहिए।
स्कूलों के विकास के लिए 25 वर्षों का मास्टर प्लान बने
डॉ. कल्ला ने कहा कि विद्यालयों प्रबंधन समितियों की स्कूलों के विकास में अहम भूमिका है, उनकी नियमित बैठक हो, शिक्षण व्यवस्था की मॉनिटरिंग के लिए इन्हें और प्रभावी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों के विकास के लिए आगामी 25 वर्षों का मास्टर प्लान तैयार किया जाए, इसके अनुरूप अतिरिक्त कक्षा कक्ष और अन्य परिसम्पतियों को निर्माण हो, इस दिशा में समग्र शिक्षा के अधिकारी विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समितियों के साथ समन्वय से रूपरेखा तैयार करे। उन्होंने आटीई में जिला स्तर पर अभिभावकों के प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए हेल्पलाइन बनाने के भी निर्देश दिए।
प्रो-एक्टिव सोच से कार्य करने पर दिया जोर
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव नवीन जैन ने कार्यशाला में कहा कि प्रदेश में शिक्षा के स्तर को नए स्तर पर ले जाने की प्रतिबद्धता के साथ शिक्षक और अधिकारी ‘प्रो-एक्टिव‘ होकर कार्य करे। उन्होंने कहा कि शिक्षा बड़ा संवेदनशील विषय है, विभाग में हर पोजीशन और पद की अपनी महत्ता है, शिक्षकों की भूमिका केवल किताबों का अध्ययन कराने तक सीमित नहीं हैं, वे बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण के ध्येय को सामने रखकर ‘सेल्फ मोटिवेशन‘ से भूमिका निभाए।
शाला सम्बलन एप बनेगा प्रभावी
शिक्षा सचिव जैन ने कार्यशाला में शाला सम्बलन अभियान पर प्रतिभागियों के साथ ‘ब्रेन स्टोमिर्ंग‘ के दौरान स्कूलों की प्रगति की मॉनिटरिंग एवं निरीक्षण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए ‘शाला सम्बलन एप‘ में व्यापक सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ‘एप‘ में ऎसे फीचर विकसित हो, जिससे जो अधिकारी निर्धारित नॉम्र्स के अनुसार निरीक्षण नहीं करे, उनकों सिस्टम जनरेटेड मैसेज और नोटिस जारी हो। उन्होंने कहा कि ‘नो बैग डे‘ के नवाचार के तहत आगामी दिनों में स्कूलों में बालिकाओं को ‘गुड टच-बैड टच‘, सड़क सुरक्षा, व्यक्तित्व विकास एवं कॅरियर काउंसलिंग, तम्बाकू निषेध और संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी देने के लिए विशेष योजना पर कार्य चल रहा है।
कार्यशाला में स्कूल शिक्षा विभाग की विशिष्ट सचिव चित्रा गुप्ता, स्कूल शिक्षा निदेशक कानाराम तथा राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक श्रुति भारद्वाज के अलावा शिक्षा निदेशालय, बीकानेर, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, सी-मैट एवं स्कूल शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी और कार्मिक मौजूद रहे।
इन मुद्दों पर हुआ मंथन
कार्यशाला के दौरान प्रवेशोत्सव, नामांकन अभियान, छात्रवृति एवं प्रोत्साहन योजनाएं, मिड डे मील एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना, समग्र शिक्षा के तहत प्रशिक्षणों के बेहतर क्रियान्वयन, डाइट की गतिविधियों, शिविरा पंचांग, डायल फ्यूचर कार्यक्रम की प्रगति, शाला दर्पण पोर्टल, वाचनालय एवं पुस्तकालयों के बेहतर उपयोग, आईसीटी क्लासेज, व्यावसायिक शिक्षा, बालिका शिक्षा के तहत कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों, स्कूलों में निर्माण कायोर्ं की प्रगति सहित अन्य विषयों पर प्रदेशभर से आए स्कूल शिक्षा के सभी संभागीय संयुक्त निदेशक, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, समसा तथा समस्त डाइट के प्रधानाचार्यों के अलावा मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों के साथ विद्यालयों एवं शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से गहन मंथन किया गया। प्रतिभागियों ने फील्ड के अनुभवों के आधार पर अपने सुझाव दिए, जिन पर व्यापक रूप से सामूहिक चर्चा की गई। शासन सचिव जैन ने फील्ड अधिकारियों के अच्छे और व्यवहारिक सुझावों की सराहना की और विभागीय अधिकारियों को उन्हें लागू करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए।