मत्स्य साहित्य उत्सव का हुआ आयोजन

मत्स्य साहित्य उत्सव का हुआ आयोजन

अलवर। प्रगतिशील लेखक संघ दिल्ली के तत्वावधान में दो दिवसीय मत्स्य साहित्य उत्सव का आयोजन राजगढ़ क्षेत्र के माचाड़ी में आयोजित किया गया।
जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने अलवर जिले में आयोजित साहित्यिक सम्मेलन में आए देश के नामचीन साहित्यकारों का अभिनन्दन करते कहा कि इस साहित्यिक सम्मेलन से जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी एक नई परम्परा प्रारम्भ हो सकेगी। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और समसामयिक विषयों पर किए गए चिंतन मंथन से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष मंडल में महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय, प्रसिद्ध साहित्यकार जुगमंदिर तायल, जनवरी लेखक संघ राजस्थान के अध्यक्ष जीवन सिंह मानवी, पत्रकार रामशरण जोशी शामिल रहे। इस सत्र में स्वागत भाषण प्रगतिशील लेखक संघ के राजस्थान कार्यकारी महासचिव प्रेमचंद गांधी ने दिया तथा संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।
पहला सत्र हमारे समय में बहुलता को बचाने की जरूरत विषय पर आयोजित किया गया जिसमें जावेद आनंद, भंवर मेघवंशी, कविता श्रीवास्तव ने अपने विचार और अंकों को साझा किए। तृतीय सत्र में जेबी पत्रकारिता के जोखिम विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राम शरण जोशी ने की, संयोजन विनोद भारद्वाज ने किया जबकि द वायर की आरफा खानम शेरवानी, पत्रकार सनी सेविस्टर्न, प्रोफेसर गया सिंह ने विचार व्यक्त किए। चतुर्थ सत्र अनुवाद चुनौतियां और सभावनाएं की अध्यक्षता अर्जुमंद आरा ने की इसमें मधु बी जोशी, मोहम्मद असदुद्दीन, पांचवा सत्र युवा कविता के तेवर के अंतर्गत प्रियंका सोनकर, ज्योति शर्मा, विजय राही, चंचल सिंह साक्षी, राघवेंद्र रावत, वीरू सोनकर, चित्रेश ने कविता पाठ किया, इसका संचालन पूनम अरोड़ा ने किया। अंतिम सत्र में सत्यजीत राय सिनेमा का प्रस्तुतिकरण किया गया जिसका प्रस्तुतिकरण जितेंद्र भाटिया द्वारा किया गया।
इस सम्मेलन में उपस्थित सभी वक्ताओं ने भारत के लोकतंत्र और बहुलतावादी संस्कृति के संरक्षण के पक्ष में बोलते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मौजूदा दौर में भारत की बहुततावादी संस्कृति को एकरुपता में बदलने की प्रयास हो रहे हैं, जो हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत और विविधता आधारित लोकतंत्र के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती है। इस आयोजन के मुख्य संयोजक ज्ञानचंद बागडी, सह-संयोजक कालूराम मीणा एवं केसी मीणा थे। इस अवसर पर देश के जानेमाने लेखक और साहित्यकार उपस्थित रहे।