कांग्रेस ने आपातकाल थोपकर की थी लोकतंत्र की हत्या
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- लोकतंत्र का काला दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में बौद्धिक प्रमुख सुरेश जी अग्रवाल ने रखे विचार..
श्योपुर। कांग्रेस ने 25 जून 1975 को देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र व संविधान की हत्या की थी। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद व अलोकतांत्रिक कार्य था। इंदिरा गांधी ने न सिर्फ चुनाव स्थगित किए वरन आम जनता के मौलिक अधिकारों पर भी रोक लगा दी। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक कांग्रेस ने अनेक बार लोकतंत्र की हत्या की है। ऐसी कांग्रेस की समूल समाप्ति ही संविधान, हिंदुत्व व राष्ट्र के हित में होगा।
यह बात सुरेश जी अग्रवाल ने मंगलवार को “25 जून 1975 लोकतंत्र का काला दिवस, कभी न भूलने वाला आपातकाल” पर आयोजित विचार गोष्ठी में कही। भाजपा जिला मीडिया प्रभारी नरेश धाकड़ ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि श्री राम धर्मशाला जय स्तंभ पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता अशोक बाधवानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाट ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता सुरेश जी अग्रवाल ने भारत माता, डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी व पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्प अर्पित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।मुख्य वक्ता श्री सुरेश जी अग्रवाल ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा 1971 में समाजवादी नेता राजनारायण रायबरेली से इंदिरा गांधी के सामने लोकसभा चुनाव हार गए थे। इसपर राजनारायण ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर सरकारी मिशनरी के दुरूपयोग, तय सीमा से अधिक पैसे खर्च करने व मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगाए थे। 12 जून 1975 को उच्च अदालत ने आरोपों को सही ठहराते हुए अपने फैसले में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर उन्हें छह वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था। इंदिरा गांधी ने कोर्ट के आदेश को मानने से इंकार कर दिया। मनमानी करते हुए आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से अध्यादेश पारित करवाकर देश में आपातकाल लगा दिया। तत्पश्चात कांग्रेस सरकार ने सरकार विरोधियों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। लाखों सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता व नेताओं को झूठे आरोपों में जेल में ठूंस दिया गया। इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के नेतृत्व में हिंदु पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई। आपातकाल में गिरफ्तारी पर कोर्ट नहीं जा सकते थे। इंदिरा गांधी ने नो वकील, नो अपील, नो दलील का रवैया अपनाया। आपातकाल में अत्याचार की पराकाष्ठा होने लगी। जेल में अनेक प्रकार के अत्याचार किए गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ सहित अनेक संगठनों ने आपातकाल विरोधी आंदोलन किए। हजारों स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध के खिलाफ और मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया। अंततः 21 महीने की अवधि पश्चात 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्त हुआ।
आज नासूर बन चुकी है कांग्रेस
श्री जाट ने वर्तमान परिदृष्य पर कहा देश को जेल खाना बना दिया 4 लाख लोगो को जेल में बंद कर दिया आज कांग्रेस देश की एकता, अखंडता व सांप्रदायिक सद्भाव के लिए नासूर बन चुकी है। भारत के संविधान से उसे कोई लेना-देना नहीं है। उनका लक्ष्य केवल सत्ता प्राप्ति है। जिसके लिए कांग्रेस देश में नित-नए विवाद खड़े कर रही है। ऐसी कांग्रेस को समाप्त करने के लिए देश के युवाओं को आगे आना होगा। संगोष्ठी में श्री सुरेश अग्रवाल जी,श्री अशोक बाधवानी जी,श्री सुरेंद्र सिंह जाट,रेनू सुजीत गर्ग,मिडिया प्रभारी नरेश धाकड़, मंडल अध्यक्ष, मोर्चा अध्यक्ष,वरिष्ठ पदाधिकारि एवम भाजपा कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे।मनोज वर्मा को संविधान की प्रति सौंपकर सम्मान किया। संचालन कार्यलय मंत्री सतनारायण यादव ने किया व आभार मनीष नागौरी ने किया।