पद्मभूषण से सम्मानित जनरल सगत सिंह: बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के महानायक की पुण्यतिथि पर विशेष
जयपुर टाइम्स, चूरू जिले की धरती ने देश को कई वीर योद्धा दिए हैं, जिनमें से एक हैं महान सेनानायक जनरल सगत सिंह। वे उन योद्धाओं में से हैं, जिनका नाम विश्व के श्रेष्ठतम सेनानायकों में गिना जाता है। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के असल नायक माने जाने वाले जनरल सगत सिंह ने अपने अद्वितीय युद्ध कौशल और साहसिक निर्णयों से भारतीय सेना को कई अहम जीत दिलाई। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए आज हम उनके जीवन और योगदान को सलाम करते हैं।
कुसुमदेसर के वीर पुत्र सगत सिंह
चूरू जिले के रतनगढ़ तहसील के कुसुमदेसर गांव में 14 जुलाई 1919 को जन्मे सगत सिंह ने बचपन से ही देशप्रेम का जज्बा दिखाया। उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी से अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही जुड़कर सैन्य जीवन की शुरुआत की। दूसरे विश्व युद्ध में उन्होंने मेसोपोटामिया, सीरिया और फिलिस्तीन के युद्धों में अपना लोहा मनवाया। 1947 में देश की आजादी के बाद, सगत सिंह ने भारतीय सेना ज्वॉइन की और 3 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त किया।
गोवा मुक्ति और नाथू ला पर विजय
1961 में जनरल सगत सिंह ने गोवा मुक्ति अभियान का नेतृत्व किया और सफलतापूर्वक पुर्तगाली शासन का अंत कर गोवा को भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनाया। 1965 में उन्हें चीन की चुनौती से निपटने के लिए सिक्किम में तैनात किया गया। उन्होंने नाथू ला पास को खाली न करने का फैसला लिया, जिससे यह आज भी भारत के नियंत्रण में है।
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नायक
1970 में जनरल सगत सिंह को लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रोन्नति दी गई और उन्होंने 4 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अद्वितीय वीरता का परिचय दिया। उनके नेतृत्व में पहली बार किसी मैदानी सेना ने विशाल नदी को पार कर पाकिस्तान पर निर्णायक जीत हासिल की। यह उनके साहसी निर्णयों का ही परिणाम था कि पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ।
साहस की मिसाल
युद्ध के दौरान, वे हेलीकॉप्टर से युद्ध स्थल का निरीक्षण करने जाते थे। एक बार उनके हेलीकॉप्टर पर पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला किया, जिसमें पायलट घायल हो गया, लेकिन जनरल सगत सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और वापस लौटकर दूसरा हेलीकॉप्टर लेकर निरीक्षण जारी रखा।
सम्मान और योगदान
बांग्लादेश की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें बांग्लादेश सरकार ने सम्मानित किया। साथ ही, भारत सरकार ने उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल (पी.वी.एस.एम.) और पद्मभूषण से सम्मानित किया। 30 नवंबर 1976 को वे सेवानिवृत्त हुए और 26 सितंबर 2001 को इस महान योद्धा का निधन हुआ।
जनरल सगत सिंह की वीरता और युद्ध कौशल आज भी भारतीय सेना के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनका शौर्य और साहसिक नेतृत्व भारतीय सैनिकों के लिए एक मिसाल है।