नेता-अधिकारी होते हैं जिन पर मेहरबान,उनको मिलता हैं 'सम्मान'! -सच्चे हकदार... किए जाते हैं दरकिनार

नेता-अधिकारी होते हैं जिन पर मेहरबान,उनको मिलता हैं 'सम्मान'! -सच्चे हकदार... किए जाते हैं दरकिनार


बिजौलियां(जगदीश सोनी)। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि हासिल करने वालों, उत्कृष्ट कार्य व जनसेवा  करने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तियों  को सम्मानित करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही हैं।सभी जगहों पर सम्मानित होने वालों की सूची पर अगर नजर डाली जाए तो इनमें सम्मान के वास्तविक हकदार कम और नेताओं-अधिकारियों के करीबी ज्यादा होते हैं।जिनका किसी जनसरोकार,सेवा कार्यों  या किसी भी प्रकार की उपलब्धि से कोई लेनादेना नहीं होता हैं।ऐसे फर्जी लोगों की फेहरिस्त लम्बी होने के चक्कर में सम्मान के वास्तविक हकदार दरकिनार हो जाते हैं।सम्मान से वंचित ऐसा ही  एक शख्स हैं कस्बा निवासी मनोज सिंधी जो चाय की एक छोटी सी होटल से अपना परिवार चलाता हैं।मनोज ने कोरोना काल-2021 में  जान जोखिम में डाल कर परिवारजनों के विरोध के बावजूद डेढ़ महीने तक क्वारन्टाइन सेंटर में भर्ती मरीजों को चाय-नाश्ता बना कर उपलब्ध करवाया और रोजाना 6 घण्टे तक किए गए इस काम का कोई पारिश्रमिक भी नहीं लिया।कोरोना के डर से जब कोई क्वारन्टाइन सेंटर पर चाय-नाश्ते का काम करने के लिए तैयार नहीं था उस स्थिति में मनोज ने हिम्मत दिखाते हुए ये पहल की । मनोज के इस सेवा कार्य को लेकर 15 अगस्त व 26 जनवरी पर सम्मानित करने के लिए तत्कालीन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक कई बार बात पहुंचाई गई।लेकिन हर बार मनोज का नाम सम्मानित होने वालों की सूची से टाला जाता रहा और अफ़सोस कि वास्तविक हकदार होने के बावजूद  मनोज को आज तक सम्मानित नहीं किया जा सका।