भारतीय हॉकी टीम ने जीता लगातार दूसरा ओलिंपिक ब्रॉन्ज मेडल, स्पेन को 2-1 से दी शिकस्त
पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। टीम ने स्पेन को 2-1 से हराकर लगातार दूसरे ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। यह जीत न केवल भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है बल्कि कप्तान हरमनप्रीत सिंह और गोलकीपर पीआर श्रीजेश के लिए एक विशेष क्षण भी है।
हरमनप्रीत की शानदार कप्तानी
कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने इस मैच में अपने शानदार प्रदर्शन से टीम को जीत दिलाई। उन्होंने दोनों गोल किए और इस टूर्नामेंट में कुल 10 गोल के साथ टॉप स्कोरर बने। हरमनप्रीत के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में जबरदस्त खेल दिखाया और आखिरकार ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल रही।
गोलकीपर श्रीजेश की विदाई
यह मैच भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला था। ओलिंपिक से पहले ही उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी थी, और इस मैच के साथ उन्होंने अपने करियर का समापन किया। श्रीजेश का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में उल्लेखनीय रहा, विशेष रूप से ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में, जहां उन्होंने 11 पेनल्टी कॉर्नर बचाए थे। इस मैच को पेनल्टी शूटआउट में ले जाने का श्रेय भी काफी हद तक श्रीजेश को जाता है, जिन्होंने 2 महत्वपूर्ण सेव किए थे।
भारतीय हॉकी की ओलिंपिक में निरंतरता
भारतीय टीम के लिए यह ओलिंपिक में हॉकी का 13वां मेडल है। इनमें 8 गोल्ड, 1 सिल्वर, और अब 4 ब्रॉन्ज शामिल हैं। टीम ने 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था, जब उन्होंने जर्मनी को हराया था।
52 साल बाद लगातार दो ओलिंपिक में मेडल
यह जीत भारतीय हॉकी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि टीम ने 52 साल बाद लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीता है। इससे पहले, भारतीय हॉकी टीम ने 1968 और 1972 के ओलिंपिक में लगातार दो मेडल जीते थे।
भारतीय हॉकी के लिए भविष्य की दिशा
यह जीत भारतीय हॉकी के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। टीम ने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि वह विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती है। कप्तान हरमनप्रीत सिंह और गोलकीपर श्रीजेश जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के मार्गदर्शन में, युवाओं को भी सीखने और आगे बढ़ने का मौका मिला है।
भारतीय हॉकी टीम की इस सफलता से देश में खेल की लोकप्रियता और बढ़ेगी, और आने वाले समय में अधिक से अधिक युवा खिलाड़ी इस खेल को अपनाएंगे। अब सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि यह टीम आने वाले अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कैसे प्रदर्शन करती है, और क्या वे एक बार फिर ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना साकार कर सकते हैं।
भारतीय हॉकी टीम के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ, देश ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया कि उनकी हॉकी टीम शीर्ष स्तर की प्रतियोगिताओं में कितनी प्रतिस्पर्धी है। यह जीत न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।