सुमेरपुर:पालिका क्षेत्र में बिना अनुमति से जारी भवन निर्माण कार्य
पालिका जिम्मेदारों की मिलीभगत से आवासीय, व्यवसायिक भवन निर्माण कार्य धड़ल्ले से हों रहा
पालिका बोर्ड को 5 साल पूरे होने वाले हैं,इतने समय के अंदर एक करवाई हुई
सुमेरपुर।पालिकाक्षेत्र में भवन निर्माण से पूर्व पालिका प्रशासन से इसकी अनुमति लेना कानूनन अनिवार्य होता है,लेकिन शहर में पिछले साढ़े चार साल से बिना अनुमति के निर्माण कार्य जोर से चल रहा है। शहर में एक नहीं अनेक सैकड़ो की संख्या में बिना इजाजत व्यावसायिक, आवासीय, कॉम्पलेक्स, बहुमंजिला इमारत, भवन निर्माण की धूम मची हुई है, बैखोफ बिना रोक-टोक निर्माण कार्य चल रहा है।
पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते और अनुमति की पेचीदगियों में उलझा होने से लोग एक ओर जहां अनुमति के चक्कर में नहीं उलझना चाहते हैं,वहीं कुछ लोग अनुमति के लिए आते भी हैं,तो पालिका प्रशासन द्वारा पट्टे आदि की औपचारिकता से पूरी नहीं होने से अनुमति नहीं मिलती है। ऐसे में बिना अनुमति के भवन निर्माण कार्य जोर-शोर से जारी है और लोग अवैध कॉलोनियों सहित अतिक्रमण की भूमि पर बिना अनुमति लिए पक्का निर्माण कर रहे हैं। प्राप्त सूत्रों की जानकारी के अनुसार ऐसा ही सुमेरपुर शहर में प्रचलित है। ऐसा
शहर की कॉलोनियों,सड़क किनारे सहित कई स्थानों पर देखा जा सकता है।इसके अलावा पालिका वार्डो के हालात तो और भी बदत्तर हैं,जहां
गली,सड़क, मोहल्ले,कॉलोनी में बिना अनुमति निर्माण कार्यों का जाल फैला हुआ है, जगह-जगह निर्माण चल रहा है। बिना पालिका की स्वीकृति के निर्माण कर लेने के बाद भी पालिका प्रशासन को इसकी सूचना नहीं मिल पाती है या फिर जानबूझकर बरती जाती हैं, जिससे कोई कार्रवाई नहीं होती है। इससे जहां अवैध निर्माण,अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। वहीं पालिका की आय को भी भारी नुकसान हो रहा है। नगरपालिका क्षेत्र में बिना अनुमति के हो रहे निर्माण से पालिका की आय को भी 5 साल में भारी नुकसान पहुंच रहा है।
पक्ष विपक्ष की मेहरबानी
दरअसल कोई भी गलत काम करने में बड़े नेताओं तथा पक्ष विपक्ष के हाथ होने के बिना संभव नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी और अभी वर्तमान में भाजपा सरकार हैं। वही सुमेरपुर पालिका में भाजपा का बोर्ड स्थापित है और श्रीमती उषा कंवर राठौड़ अध्यक्ष है तथा उनके पति सांसद के प्रतिनिधि सदस्य हैं। कांग्रेस सरकार से लेकर अब बीजेपी सरकार भी सुमेरपुर पालिका पर मेहरबान है, इसके चलते शहर में जगह-जगह बिना इजाजत बड़े-बड़े मंजिल बन रहे हैं तथा 5 साल बीतने जा रहे हैं उसे अंतराल में अब तक सैकड़ो भवन बन चुके हैं। जिससे पालिका को नहीं सरकार को करोड़ों का चूना लगा है। इस पर सरकार को गंभीर रूप से लेकर जांच करवानी चाहिए।
कार्रवाई से पहले हो जाता निर्माण
पालिका में भारतीय जनता पार्टी का बोर्ड है तथा बोर्ड को 5 साल पूरे होने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अभी निर्माण कार्यों को लेकर इस 5 साल में पालिका की ओर से मात्र एक करवाई अमल में लाई गई थी,वह भी राजनीतिक रसुकात के चलते अंजाम दिया। शहर में बिना पालिका की अनुमति के भवन निर्माण की यह हालत है कि जब तक पालिका कार्रवाई शुरू करती है। तब तक भवन निर्माण पूरा हो जाता है और बाद में निर्माण ध्वस्त करना अथवा कार्रवाई करना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है। ऐसे दर्जनों मामले हैं जिनमें पालिका को शिकायते मिलने के बावजूद प्रभावी कार्रवाई नही हो पाती है। लोगों का कहना है कि प्रभावशाली लोग तो किसी किसी प्रकार से अपने निर्माण करवा लेते है, लेकिन गरीबों को निर्माण के लिए कई दिनों तक चक्कर काटने पड़ते है। ऐसे में लोग पालिका के जिम्मेदारों से सांठगाठ कर काम शुरू कर देते हैं। हालांकि एक नही ऐसे शहर में अनेक उदाहरण है जो बड़े-बड़े परिसर बिना अनुमति से बन चुके हैं और अभी निर्माण जारी हैं।
बिना स्वीकृति के बन रहे भवन,लाखों करोड़ों का नुकसान
नगरपालिका क्षेत्र में कई वार्ड में बिना निर्माण स्वीकृति के कार्य धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। पालिका प्रशासन को जानकारी मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करने से लाखों करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। पालिका क्षेत्र में 35 वार्ड हैं। वार्डों में कई मकानों,इमारत, भवन,दुकान, कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। पालिका नियमानुसार पालिका क्षेत्र में कहीं पर कोई निर्माण करता है तो नगर पालिका प्रशासन से निर्माण स्वीकृति लेना जरूरी है। पालिका में पत्रावली जमा कराने के बाद पालिका द्वारा एक अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्माण स्थल पर चस्पा किया जाता है। जिसको भी उक्त निर्माण होने से आपत्ति हो तो वह पालिका प्रशासन को लिखित में शिकायत कर सकता है। उसके बाद निर्माण कार्य पर कार्यवाही की जाती है। मगर वर्तमान में अधिकांश वार्डों में बिना निर्माण स्वीकृति के लिए निर्माण कार्य चल रहे हैं। यही नहीं पालिका की जगहों पर भी अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। मगर नगर पालिका प्रशासन ने आंखें मूंद हुए हैं। इस संबंध में जिम्मेदारों से जब भी बात की जाती है तो सर्वे का बहाना और मौका निरीक्षण की बात करते हुए उसे ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।
पालिका प्रशासन की अनदेखी
बिना मंजूरी के बडी संख्या में बेसमेंट, आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों का निर्माण किया जा रहा है। नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते क्षेत्र में बिना मंजूरी के बडी संख्या में बेसमेंट, आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों का निर्माण किया जा रहा है। जिससे नगर पालिका को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
किसी भी भवन निर्माण को स्वीकृत कराने पर नगर पालिका को बतौर राजस्व शुल्क मिलता है। नगर नियोजक के बिना अनुमोदन के कुछ प्रोपर्टी डीलरों की ओर से अवैध रूप से कॉलोनियां में प्लाट काटे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में कई तरह की परेशानी होने के कारण लोग बिना नक्शा स्वीकृत कराए निर्माण करते हैं। इससे नगर पालिका को जहां राजस्व का नुकसान होता है,वहीं नगर पालिका को सूचना ही नहीं रहती है कि कहां निर्माण चल रहा है। वहां सुरक्षा के मापदण्डों की जांच ही नहीं की जाती है। नगर पालिका की ओर से गत कई साल से अवैध निर्माण के विरूद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई,जिसके चलते बालिका को भारी राजस्व
नुकसान हुआ है।
नियमों की अनदेखी
नगर पालिका क्षेत्र में लोग नियमों को ताक में रखकर बेसमेंट, आवासीय एवं व्यवसायिक भवन बना रहे हैं। काफी अर्से से कस्बे में लोग कायदों की अनदेखी कर रहे हैं। नए इलाके के साथ ही पुराने क्षेत्र में भी बिना मंजूरी के ही आवासीय एवं व्यवसायिक भवन निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। सडक पर अतिक्रमण भवन निर्माण करने वाले सडक पर ईंट, बजरी सहित अन्य निर्माण सामग्री डालकर मार्ग अवरूद्ध कर देते हैं। यही नहीं पालिका की मिलीभगत से सड़क की जमीन पर भूमाफियाओं ने पक्का कब्जा भी कर दिया है । दूसरी ओर कस्बे में जमीन के भाव आसमान छूने के कारण लोग खिड़की,छज्जा आदि को मुख्य सडक पर ही बना लेना आम बात है। आरोप है कि अवैध निर्माण कार्य कस्बे में निरंतर चल रहे हैं। यह लोगों की नजर में तब आता है जब इससे समस्या खडी होती है।
भवन निर्माण के नियम
भवन निर्माण का यह है नियम
नगर पालिका क्षेत्र में कोई भी मकान या व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाने से पहले नगर पालिका से मंजूरी लेनी होती है। उसके बाद नगर पालिका कार्मिक उक्त स्थल का निरीक्षण करते हैं। भू स्वामी को निर्धारित फीस जमा करानी होती है। उसके बाद भवन निर्माण की स्वीकृति बना कर दी जाती है। उसके बाद ही मकान बनाया जा सकता है। लेकिन पालिका क्षेत्र में लंबे समय से धुप्पल में ही सब कुछ चल रहा है। सूत्रों के अनुसार किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना इसमें बड़े नेताओं के हाथ शामिल होना बताया जा रहा है।
इनका कहना
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा चुंगी पुनर्भरण की राशि कटौती होने के मध्य नजर एक तरफ तो सुमेरपुर नगर पालिका की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है जिससे विकास एवं अन्य कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। वही दूसरी तरफ अगर इस तरह के बिना नगर पालिका की इजाजत के निर्माण कार्य हो रहे हैं तो यह बड़ा ही गंभीर विषय है। इसकी उच्च लेवल पर जांच होनी चाहिए एवं दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए नगर पालिका में होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
चत्रभूज शर्मा
उपाध्यक्ष नगर पालिका सुमेरपुर।