सफल नायक पथिक को मिले भारत रत्न: पोसवाल

सफल नायक पथिक को मिले भारत रत्न: पोसवाल


सुजानगढ़ (नि.सं.)। देश की आजादी के पहले सफल सेनानी ओर क्रांतिकारी विजयसिंह पथिक की पथिक सेना कार्यालय में 142वी जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलेक्टर भागीरथ साख ने पथिक के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब अंग्रेज ओर सामन्तशाही शासन के खिलाफ बोलना भी मौत को गले लगाना था, उस समय पथिक ने न केवल उनको झुकाया, बल्कि समांतर सरकार चलाई व छः अखबारों का क्रांतिकारी सम्पादन किया, जो अकल्पनीय है। क्रांतिकारी और सेनानियों के देश आजादी के अलावा कोई निजी स्वार्थ नहीं था। पथिक ने वास्तव में आजादी की नींव रखी, जिसे हमे भूलना नहीं चाहिए। 
 कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पथिक सेना संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर पोसवाल ने ओजस्वी वाणी में पथिक पर प्रकाश डाला व अनछुए पहलुओं की जानकारी दी तथा आजादी में व उसके बाद उनके साथ हुए व्यवहार पर जब मार्मिक बातें कहीं, तो उपस्थित लोग भावुक हो गये। पोसवाल ने बताया कि पथिक की चार पीढ़ियों ने देश आजादी हित में बलिदान देकर अपना वंश खत्म कर लिया और खुद पथिक आजाद भारत में तिल-तिलकर शहीद हुये। स्वाभिमानी पथिक ने निर्वासित और अभावों में जीवन जिया पर सिद्धांतो से समझौता नही किया, जबकि उनके बनाये नेता उनके द्वारा कराये गये आजाद भारत मे रातों रात सत्ता और सम्पति पर कब्जा कर बैठे और उन्हें भुलाने में पूरी ऊर्जा लगाई। 
 पोसवाल ने केंद्र सरकार से पथिक को भारत रत्न देने, राज्य सरकार से बिजोलिया में पथिक पैनोरमा बनाने, जयपुर में पथिक स्मारक बनाने, कोटा कृषि विश्वविद्यालय का नाम पथिक कृषि विश्वविद्यालय करने तथा प्रदेश में किसी किसान योजना का पथिक के नाम से करने व सुजानगढ सभापति से शहर में पथिकजी की मूर्ति लगवाने की पत्र के माध्यम से मांग की। इस अवसर पर किसान नेता रामनारायण रुलानिया, गुरुदेव गोदारा, बाबूलाल गुर्जर, एडवोकेट तिलोक मेघवाल, रतनलाल गुर्जर, भगवान घोड़ेला ने अपने विचार व्यक्त कर पथिक के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में विभिन संघठनो के पदाधिकारी, पथिक सेना के कार्यकर्ता सहित सैकड़ो लोग मौजूद थे।