20 साल से न्याय के लिए भटक रहा है मृतक राज्य न्यायिक कर्मचारी का आश्रित, नहीं मिला न्याय। अस्वस्थ होने से नहीं जा सका नौकरी पर विभाग ने हटाया।

20 साल से न्याय के लिए भटक रहा है मृतक राज्य न्यायिक कर्मचारी का आश्रित, नहीं मिला न्याय। अस्वस्थ होने से नहीं जा सका नौकरी पर विभाग ने हटाया।

20 साल से न्याय के लिए भटक रहा है मृतक राज्य न्यायिक कर्मचारी का आश्रित, नहीं मिला न्याय।
अस्वस्थ होने से नहीं जा सका नौकरी पर विभाग ने हटाया।
राज्यपाल से की  न्याय की गुहार।
जहाजपुर 27 जून ( अनिल सोनी) । एक मृतक राज्य न्यायिक कर्मचारी का आश्रित न्यायिक अनुकंपा नौकरी पाने के लिए विगत 20 सालों से भटक रहा है पर उसे न्याय नहीं मिला है। अब मृतक कर्मचारी के पुत्र ने अनुकंपा नौकरी पाने के लिए राज्यपाल से न्याय की गुहार की है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रार्थीअशोक कुमार शर्मा पिता स्वर्गीय श्याम लाल शर्मा  मृतक न्यायिक कर्मचारी जहाजपुर ने राजस्थान के राज्यपाल को एक प्रार्थना पत्र भेजकर मृतक राज्य न्यायिक कर्मचारी के आश्रित की नौकरी बहाल करने की गुहार की गई। उसके पिता श्यामलाल शर्मा निवासी जहाजपुर की मृत्यु 15 जनवरी 2003 को हो गई थी।परिवेदना पत्र में बताया गया कि प्रार्थी अशोक कुमार शर्मा को मृतक राज्य कर्मचारी के अनुकंपात्मक सेवा नियमों के अधीन
 आदेश संख्या 112 स्था/ 2003 दिनांक 24 अप्रैल 2003 को नियुक्ति प्रदान की गई थी।
 नियुक्ति आदेश की पालना में निर्धारित पद पर नियुक्ति विभाग में सेवारत हो गया था दुर्भाग्यवस दिनांक 14 अक्टूबर 2003 से 11 नवंबर 2004 तक वह गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गया था ,लगातार बीमारी बनी रहने से अपनी बीमारी का इलाज विभिन्न चिकित्सालय में करवाता रहा । इसी क्रम में बीमार हो जानने की सूचना एवं निवास स्थान से दूर होने पर राजकीय नियमों की जानकारी के अभाव में अपने विभाग को बीमारी की सूचना नहीं दे सका। पत्र में बताया गया  की बिना किसी जांच एवं बिना उसका पक्ष सुने आदेश  7 दिसंबर 2004 को सेवा से पृथक कर दिया गया।  स्वास्थ्य में लाभ होने पर दिनांक 16 दिसंबर 2004 को रजिस्ट्री पत्र संख्या 3143  को अपने समस्त मेडिकल अन्य पत्र आदि  विभाग अध्यक्ष महोदय को प्रेषित कर दिया गए किंतु विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और नहीं मुझे कोई सूचना दी गई है । पत्र में बताया की न्याय के लिए उसने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण भी ली  पर उसकी याचिका को वहां निरस्त कर दी गई। राज्यपाल को भेजे परिवेदना पत्र में युवक ने बताया कि उपरोक्त लंबी कानूनी  लड़ाई के बाद भी प्रार्थी को न्याय प्राप्त नहीं हो सका जिससे उसे आर्थिक और मानसिक हानि उठानी पड़ रही है । उक्त नौकरी मृतक कर्मचारियों के परिजनों के भरण पोषण के लिए दिए गए थे किंतु उसे समय उसकी आयु मात्र 19वर्ष थी एवं राजकीय सेवा नियमों की जानकारी के अभाव में उक्त गलती हुई थी। नौकरी अभाव में परिवार को संभाल पाना मुश्किल हो रहा है ।  वहीं युवक ने बताया किया कि उसके द्वारा सेवाकाल में अनुपस्थित रहने के समय को अवैतनिक  अवकाश में समायोजन फरमाते हुए प्रार्थी को पुनः सेवा में पदस्थापन आदेश फरमाए जिससे कि उसके परिवार की माली हालत में सुधार हो सके।