हमारी सांस्कृतिक विरासत से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए: सोनी
जयपुर टाइम्स
चूरू। स्थानीय नगर श्री सभागार में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, चूरू की ओर से रविवार को महर्षि वाल्मीकि जयंती पर साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. सुरेन्द्र सोनी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के लेखन को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। वाल्मीकि ने प्राचीनकाल में रामायण जैसे महान ग्रंथ उस समय के युगधर्म के अनुसार लिखा और संघर्षकाल में तुलसी ने रामचरितमानस जैसा अद्भुत ग्रन्थ अपने युगधर्म के अनुसार लिखा। वर्तमान में इन ग्रन्थों को नए प्रतिमानों में ढ़ालते हुए पुनर्व्याख्यायित करने की आवश्यकता है, ताकि नई पीढ़ी हमारी सांस्कृतिक विरासत को समझकर उससे प्रेरणा ले सके। इस दौरान गत माह परिषद की ओर से आयोजित कहानी प्रतियोगिता के विजेताओं को स्मृतिचिन्ह, प्रमाण-पत्र व उपहार प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। वरिष्ठ वर्ग में विजयकांत शर्मा प्रथम और इंदिरा सिंह द्वितीय स्थान पर रहे। विद्यार्थी वर्ग में मोक्षिका पारीक, मुस्कान शर्मा व राधा क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रही। अध्यापिका जया शर्मा ने सभी को साहित्यकार बनवारीलाल शर्मा की पांच पुस्तकों का सैट भेंट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् बाबूलाल शर्मा ने अनेक प्रसंगों के माध्यम से वाल्मीकि के विशद कृतित्व, मर्यादा पुरुषोत्तम राम व रघुकुल के आदर्शों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साहित्य सृजन एक चुनौती से कम नहीं है। लिखने वाले को निरंतर अध्ययन करते रहना चाहिए। उन्होंने साहित्यिक प्रतियोगिताओं को प्रेरणादायक बताया। जयपुर प्रांत महामंत्री राजेन्द्र शर्मा ने स्वागत उद्बोधन व विषय प्रवर्तन किया। इंदिरा सिंह ने सरस्वती वंदना और बनवारीलाल खामोश, अशोक दाधीच, ओमप्रकाश तंवर व रुपेश अवतार ने मंचस्थ अतिथियों का स्वागत किया। चूरू इकाई अध्यक्ष हरिसिंह ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। साहित्यिक आयोजनों में श्रोताओं की अधिकाधिक भागीदारी का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री रमेश सोनी ने किया। इस अवसर पर आशीष गौत्तम, शायर अब्दुल मनान, सुभाष महर्षि, नगर-श्री सचिव श्यामसुन्दर शर्मा, दीपक कामिल, मंगल व्यास, प्रदीप सरोठिया, हनुमान माटोलिया, निरंजन चोटिया व अन्य साहित्य रसिक उपस्थित रहे।