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सरबजीत सिंह खालसा ने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की है। उनकी पहचान बेअंत सिंह के बेटे के रूप में है, जिन्होंने 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए इंदिरा गांधी की हत्या की थी। बेअंत सिंह को सिख कम्युनिटी शहीद का दर्जा देती है।
सरबजीत ने चुनाव में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को प्रमुख मुद्दा बनाया। उन्होंने पंथ राजनीति के जरिए सिख समुदाय का समर्थन जुटाया। प्रचार के दौरान उन्होंने हर गांव में रोड शो किया और समर्थकों ने घर-घर जाकर उनके परिवार की कुर्बानी के बारे में बताया। लंगर सेवा का भी इस्तेमाल कर उन्होंने लोगों तक अपनी बात पहुंचाई। उनकी रणनीति सफल रही, जबकि अन्य पार्टियों ने बेअदबी और नशा मुक्ति जैसे मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया
पंजाब में असल मुद्दा नशे का है। भाई अमृतपाल नशा मुक्ति के लिए काम करते हैं। वो लोगों को धर्म के रास्ते पर ले जा रहे हैं। सरकार को ये अच्छा नहीं लग रहा, इसलिए उन्हें जेल में डाल दिया। पूरा पंजाब इसके विरोध में है।