अधिकारियों को किसानों की फसलों के खराबे की वास्तविक रिपोर्ट के लिए निर्देशित करें सरकार : रामलाल शर्मा

अधिकारियों को किसानों की फसलों के खराबे की वास्तविक रिपोर्ट के लिए निर्देशित करें सरकार : रामलाल शर्मा

विधानसभा में विधायक रामलाल शर्मा ने किसानों की फ़सलो का मुआवज़ा, चारे के दामो में बढ़ोतरी, कर्जमाफ़ी, पेपरलीक सहित  मुद्दों पर उठाई आवाज़

चौमूँ निस। विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर विधायक रामलाल शर्मा ने पिछले चार वर्षों की सरकार की नाकामियों को गिनाया। उन्होंने किसानों की ओलावृष्टि और शीतलहर के चलते फ़सलो में हुये ख़राबे का तत्काल उचित मुआवज़ा देने की माँग की। राज्य सरकार कर्मचारियों और अधिकारियों को फसल ख़राबे के वास्तविक आकलन कर रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही बढ़ते चारे के दामों को लेकर पुलिस और परिवहन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने माँग की पंजाब से आने वाले चारे पर जगह जगह पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा वसूली को बंद करने के लिए स्पेशल सेल का गठन हो ताकि किसानों को चारा सही दामो में मिल सके। विधायक शर्मा ने कहा कि 2018 में कांग्रेस जब चुनावी समर के अंदर थी तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने बड़ी बड़ी घोषणाएँ करने का काम किया। जिनमें संपूर्ण कर्ज़ माफ़ी, बेरोज़गारी भत्ता, दिन में बिजली देने की घोषणा, संविदाकर्मियों को नियमितीकरण करने, रोडवेज़ कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान, पत्रकारों को सुविधा मुहैया कराने जैसी तमाम घोषणाएँ बड़े मंच से की गई और जैसे जैसे समय बीतता गया और वो घोषणाएँ थोथी साबित हो गई। इस सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार में चलायी गई जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद करने का काम किया। जिनमें भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना, अन्नपूर्णा रसोई योजना, सनिर्माण श्रमिक योजना, सब्सिडी योजना, टोल फ़्री योजना आदि को इस सरकार ने बंद करने का काम किया। अब चुनावी समय नज़दीक आते देख राज्य सरकार ने इन योजनाओं के नाम परिवर्तित करके वापस शुरू करने का काम किया है और ये इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पिछले चार बजटो की स्थिति देखें तो 20 प्रतिशत योजनाएं भी आज धरातल के ऊपर नहीं है। सरकार द्वारा 12 हज़ार ग्राम पंचायतों में विकास पथ बनाने की घोषणा की गई, लेकिन सिर्फ़ सौ पंचायतों में भी विकास पथ नहीं बन सके। जनता क्लिनिक खोलने, नंदीशालाए खोलने की घोषणा आदी कागज़ों में सिमटकर रह गई। सरकार द्वारा कॉलेज खोलने की वाहवाही लूटी गई परंतु आज वो कॉलेजे एक कमरे में संचालित है और न उसमें स्टॉप है और न ही कोई अन्य कर्मचारी है। उन्होने कहा कि आज राज्य कर्मचारी आंदोलित है और अपनी माँगो को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। NTT के विद्यार्थी सरकार से अपनी माँगो को लेकर बार बार ज्ञापन धरने देकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बेरोज़गार नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। परंतु जब परीक्षा नज़दीक आती है तो पेपर लीक हो जाते हैं, उनके सपनों के ऊपर पानी फेरने का काम में सरकार कर रही है। पुलिसकर्मी, रोडवेज़ कर्मचारी, कंप्यूटर अनुदेशक आदि अपनी माँगो को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे है। राज्य सरकार महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने की बात करती है परंतु आज देश में सबसे ज़्यादा बच्चियों के साथ दरिंदगी हुई है तो उसमें राजस्थान का प्रथम स्थान आता है और साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के साथ भी सबसे ज़्यादा अत्याचार हुए हैं। उन्होने औद्योगिक क्षेत्र में भू-माफ़िया द्वारा क़ब्ज़ा  की गई भूमि का मुद्दा उठाया और साथ ही सामोद स्थित सार्वजनिक प्याऊ बन्दोल की भूमि को खुर्दबुर्द करने का मामला भी विधानसभा उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के अंदर मस्कुलर डिशट्रॉफ़ी नामक बीमारी के मरीज़ों को के लिए स्पेशल पैकेज लाने की माँग की। साथ ही इस बीमारी से ग्रसित पीड़ित को पेंशन, यातायात भत्ता जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएँ। उन्होंने क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आज पीड़ित पुलिस के पास न जाकर अपराधी से अपना पीछा छुड़ाने की बात करता है और वो फिरौती के रूप में माँगी गई राशि अपराधी को देने का काम करते हैं। सरकार को सख़्त क़ानून बनाने की आवश्यकता है और अगर सरकार में दम है तो अपराधी जिस भाषा के अंदर समझे उनको उसी भाषा में समझाओ। तभी अपराध कम होगा। क़ानून के दायरे में रहकर अपराध कम होने वाला नहीं हैं। साथ ही उन्होंने अपराधों को कम करने के लिए पुलिस को फ्रीडम देने की माँग की। उन्होने सांप्रदायिक दंगों में राज्य सरकार द्वारा साथ दिए जाने को लेकर कहा कि अगर सही समय पर कन्हैया लाल की बात सुनी गई होती तो वो घटना नहीं होती। लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के चलते करौली, जोधपुर आदि की घटना घटित हुई।