लिवर की बिमारी का अत्याधुनिक एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार ईलाज

लिवर की बिमारी का अत्याधुनिक एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार ईलाज

– रुकमणी बिरला हॉस्पिटल में शुरू हुआ लिवर क्लिनिक


जयपुर। लाइफ स्टाइल में बदलाव और बिगड़ी खानपान की आदतों के कारण आज देश में लिवर से सम्बन्धित बीमारियों के मरीज काफी बढ़ गए हैं। भारत में हर साल 2.75 लाख लोगों की लिवर की बीमारी से मृत्यु होती है। हर पांच में से एक व्यक्ति को लिवर से सम्बन्धित कुछ ना कुछ समस्या है। लिवर की बीमारी से जूझ रहे लोगों में बीमारी की जल्दी पहचान कर उसे लास्ट स्टेज तक पहुंचने से रोकने के लिए शहर के रुकमणी बिरला हॉस्पिटल में वर्ल्ड लिवर डे के उपलक्ष में लिवर क्लिनिक शुरू हुआ है। इस मौके पर अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ अभिनव शर्मा, वाईस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी , मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सुहासिनी जैन, डॉ शिवम् सेठी एवं डी जी एम सेल्स एंड मार्केटिंग सचिन सिंह उपस्थित रहें | विशेष अतिथि के रूप में इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ लिवर के पूर्व अध्यक्ष एवं सचिव - डॉ. विवेक आनंद सारस्वत और आई ऐ एस जी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीके कपूर शामिल हुए |

 

हॉस्पिटल के सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि इस क्लिनिक में टीम अप्रोच के साथ लिवर से जुड़ी सभी प्रकार की बीमारियों की जल्दी पहचान और इलाज किया जाएगा। लिवर संबंधित बीमारियां जैसे हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी अल्कोहिक लिवर डिजीज, फैटी लिवर डिजीज, लिवर सिरोसिस होने पर होने वाली लिवर की बीमारियों  के जल्दी डायग्नोज के लिए सारे टेस्ट होंगे। एक छत के नीचे सारे टेस्ट जैसे लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, फाइब्रो स्कैन जैसी अत्याधुनिक जांचे की जा सकेंगी।

 

हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डॉ. अनिल जांगिड़ ने बताया कि लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के कारण लिवर की बीमारी पहचान में नहीं आती। जबकि इस बीमारी को रूटीन चेकअप से ही डायग्नोज किया जा सकता है। इसीलिए अस्पताल पहुंचने तक बीमारी एडवांस स्टेज तक पहुंच जाती है। इसका अंतिम इलाज लिवर ट्रांसप्लांट है जोकि डोनर न मिलने पर बहुत कम हो रहे हैं। इसीलिए लिवर से सम्बंधित बीमारियों  को पहले डायग्नोज करके उसका उचित इलाज किया जाए जिससे बीमारी को एडवांस स्टेज तक पहुंचने से रोका जा सके।

 

हाई रिस्क वाले मरीजों पर रहेगा फोकस –

डॉ. अभिनव ने बताया कि हाई रिस्क वाले मरीज जैसे मोटापा, डायबिटीज से ग्रसित लोग, अधिक शराब पीने वाले मरीजों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इन्हें स्क्रीन करके बीमारी को पहले ही डायग्नोज किया जाएगा। न्यूट्रीशन लिवर डिजीज के लिए न्यूट्रिशनिस्ट होंगे। टीम में फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा साइकोलॉजिकल काउंसलर भी होंगे जो अल्कोहल एडिक्टेड लोगों की काउंसिलिंग करेंगे।

 

रुकमणी बिरला हॉस्पिटल के वाईस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश में तेजी से बढ़ रही लिवर की बीमारियों  के मरीजों की जल्दी पहचान हो जिससे उनकी बीमारी गंभीर होने से पहले ही रोकी जा सके।