श्रद्धा से मनाया छठ पूजा के दूसरे दिन खरना, छठ पूजा आज

श्रद्धा से मनाया छठ पूजा के दूसरे दिन खरना, छठ पूजा आज


- पूर्वांचल विकास सेवा समिति ने की व्यवस्थाओं के लिए बनाई टीमें, मुख्य पूजा सागर ऊपर होगी
अलवर। पूर्वांचल विकास सेवा समिति के तहत प्रावधान में छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया गया। इसी दिन शाम से 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है। इस दिन रोटी, गुड़ की खीर और फल का भोग लगाया जाता है। इसे छठ का महाप्रसाद कहा जाता है। खरना वाले दिन भगवान का विशेष प्रसाद व्रती ही तैयार करते हैं और शाम के समय भगवान को अर्पित करने के बाद इस प्रसाद को सभी लोग ग्रहण करते हैं। खरना से ही छठ का उपवास आरंभ होता है, जो सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है। पूर्वांचल विकास सेवा समिति के अध्यक्ष लक्ष्मेश सिंह ने बताया कि खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई जाती है, जिसके लिए पीतल के बर्तन का ही प्रयोग किया जाता है। यह खीर बहुत ही शुद्धता और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है, इसलिए इसे मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इसके अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि भी बनाया जाता है।
खरना की यह खीर केवल व्रती ही बना सकता है और पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रती व्यक्ति इसी गुड़ की खीर का सेवन करते हैं। शाम के समय व्रती कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करता है। इसके बाद पूरा परिवार व्रती से आशीर्वाद लेता है। इस दौरान सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं से सिंदूर भी लगवाती हैं।
शाम के समय केले के पत्ते पर खीर, के कई भाग किए जाते हैं और अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या, सूर्य देव का हिस्सा निकाला जाता है। इस पर खीर के साथ केला, दूध, बाकी पकवान भी रखे जाते हैं। छठी मैया का ध्यान करते हुए ही इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता है। खरना के दिन गुड़ की खीर का भोग लगाने के बाद सबसे पहले प्रसाद को व्रती ग्रहण करता है इसके बाद ही पूरा परिवार भी इस प्रसाद का ग्रहण करता है।
समिति के अध्यक्ष लक्ष्मेश सिंह ने बताया कि छठ का व्रत रखने वाले को इस दिन भूमि पर सोना चाहिए। इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान सोने के लिए तकिया आदि का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।