प्रियंका चतुर्वेदी को पीएचडी उपाधि प्रदान ।

प्रियंका चतुर्वेदी को पीएचडी उपाधि प्रदान ।


जयपुर  | राजस्थान  विश्वविद्यालय  के जनसंचार विभाग ने  प्रियंका चतुर्वेदी को पीएचडी उपाधि प्रदान की।  चतुर्वेदी ने अपना शोधकार्य हरिदेव जोशी पत्रकारिता  विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज  कुमार लोढ़ा के निर्देशन में पूरा किया है। उनका रिसर्च टॉपिक डिजिटलाइज़्ड समाचार-पत्र: एक मूल्यांकन रहा। शोध के दौरान समाचारपत्रों की वेबसाइट और उनके ई-संस्करण के बारे में अध्ययन किया गया।शोधकार्य  में डिजिटलाइज़्ड समाचार पत्र के मूल्यांकन व विश्लेषण के साथ-साथ समाचारपत्र संगठन के विभिन्न विभागों जैसे मुद्रण, विज्ञापन, सम्पादन और वितरण पर डिजिटलीकरण के प्रभाव का भी अध्ययन किया गया। शोध में सामने आया कि ऑनलाइन मीडिया ने प्रिंट मीडिया के पूरे स्वरूप को प्रभावित किया है । भारत में पिछले 10 सालों में ऑनलाइन मीडिया का विकास तेजी से हुआ है ।जहां एक ओर इंटरनेट के विकास की गति बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर भारतीय ई-समाचार पत्र और समाचारपत्रों की वेबसाइट की बनावट, साज-सज्जा और पत्रकारिता जगत में काम करने के तरीकों पर डिजिटलीकरण का असर साफ देखा जा सकता है । कागज और कलम की जगह कम्प्यूटर की स्क्रीन और कीबोर्ड की इकाईयां काम कर रही हैं । जिनकी मदद से समाचार का संकलन वर्गीकरण, संपादन और वितरण किया जाता है । अब ना कागज पलटने की आवाजे हैं, ना पेन की नोंक का शोर, ना वह भागम - भाग हैं, ना शोर - शराबा अब न्यूज रूम में केवल कम्प्यूटर के की- बोर्ड पर तेजी से चलती उँगलियाँ नजर आती हैं । मुख्य संपादक जब भी चाहे कम्प्यूटर पर और अपने मोबाइल पर समाचारों को प्राप्त कर सकता है और आगे भेज सकता है. समाचार भेजने वाला चाहे समाचारपत्र का संवाददाता हो या फिर किसी समाचार एजेंसी का, वह समाचार इंटरनेट माध्यम से ही भेजेगा । नई
समाचार तकनीक के चलते संवाददाता समाचार को मोबाइल या कम्प्यूटर पर टाइप करने के बाद उसे व्हाट्सएप, ई-मेल या टेलीग्राम एप के जरिए समाचार पत्र कार्यालय तक भेजता है । बडी से बडी समाचार फाइल कुछ सेकंडों में सम्प्रेषित हो जाती है । इसी के साथ समाचार में नई-नई जानकारियां जल्दी-जल्दी आसानी से जोड़ी जा सकती हैं । फोटो संकलन के लिए वर्तमान में डिजिटल फोटोग्राफी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो फोटोग्राफी पर डिजिटलीकरण के प्रभाव को इंगित करता है । डिजिटल कैमरों के द्वारा खींची गई तस्वीरों को तुरन्त देख सकते हैं, और सही तस्वीर नहीं आने पर उसे डिलीट कर उस सब्जेक्ट या दृश्य की दूसरी तस्वीर खींच सकते हैं, जबकि फिल्म आधारित कैमरों द्वारा खींची गई तस्वीर को फिल्म के डवलपमेंट के बाद ही देख सकते हैं ।डिजिटल कैमरे के लिए फिल्म रोल की जरूरत नहीं पडती है, जिससे पैसों की बचत होती है । साथ ही साथ फिल्म के डवलपमेंट और प्रिंटिंग में होने वाले खर्च की भी जरूरत नहीं पडती है ।इन्हें हम ई-मेल, फेसबुक, व्हाट्सएप्प आदि सोशल प्लेटफार्म पर शेयर भी कर सकते हैं । समाचार पत्रों के विज्ञापन विभाग में इन दिनों ईआरपी (एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग) और सैप (सिस्टम एप्लीकेशन एंड प्रोडेक्ट इन डेटा प्रोसेसिंग) सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाने लगा है। शोध में चतुर्वेदी द्वारा किये सर्वे में सामने आया कि ऑनलाइन मीडिया ने प्रिंट मीडिया को चुनौती तो दी है, लेकिन प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता और पैठ आज भी बरकरार है.  श्रीमती चतुर्वेदी वर्तमान में सहायक जनसम्पर्क अधिकारी, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राजस्थान सरकार  के पद पर कार्यरत हैं।