कवि करुण की 24 वीं पुस्तक " हम औधड़ अवधूत निराले" का हुआ लोकार्पण
अलवर। आस्था साहित्य संस्थान के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार बलवीरसिंह करुण की 24 वीं पुस्तक "हम औघड़ अवधूत निराले " का लोकार्पण समारोह निर्वाणा होटल के सभागार में सम्पन्न हुआ। भिवानी विश्व - विद्यालय के प्रेफिसर डा. रमाकान्त शर्मा ने इस काव्य ग्रन्थ की समीक्षा करते हुए बलवीरसिंह करुण को साहसी और व्यापक इतिहास दृष्टि वाला कवि बताया। बाँदीकुई के युवा कवि डा. मुकेश गुप्त 'राज' ने कहा कि कवि करुण एक सात्विक स्वाभिमानी और दुर्लभ कोटि के साहित्यकार हैं। यह निर्णय करना बड़ा कठिन है कि वे कवि बड़े है या उपन्यासकार । करुण के साहित्य पर शोध करने वाले सहारनपुर के युवा कवि डा. मोहित कुमार संगम ने उन्हें महाकवि रामधारीसिंह दिनकर, श्यामनारायण पाण्डेय और सोहनलाल द्विवेदी की ओजस्वी काव्य परम्परा का सफल सवाहक बताया। प्रसिद्ध इतिहासकार और तेजा फाउण्डेशन जयपुर के अध्यक्ष डा. पेमाराम ने कवि करुण के महाकाव्य - तेजवन्त तेजाजी को एक कालजयी रचना बताते हुए उसके प्रकाशित करने को अपनी संस्था का सौभाग्य कहा कवि करुण पुस्तक से कई कविताओं का पाठ करते हुए स्वयं को प्रतिबद्ध के बजाय समर्पित रचनाकार कहा/ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं महाराजा सूरजमल शिक्षा संस्थान दिल्ली के अध्यक्ष कप्तानसिंह चौधरी ने करुण को अनूठी कल्पना का धनी साहित्यकार कहा। उनके चर्चित उपन्यास "डीग का जौहर और महाकाव्य - समरवीर गोकुला " को प्रकाशित करके संस्थान गौरवान्वित हुआ है।
इस अवसर पर कवि करुण के जीवन और कृतित्व पर आधारित लघु फिल्म ऐसे हैं कवि करुण " का प्रदर्शन किया गया जिसे देखकर सभी श्रोता अभिभूत हो गये। समारोह में प्रसिद्ध दानवीर स्व. नानकचन्द ठेकेदार के परिवार द्वारा इतिहासकार डा. पेमाराम का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ रेणु खत्री की सरस्वती वन्दना से हुआ जिसे प्रसिद्ध ओजस्वी कवि विनीत चौहान ने अपने कुशल संचालन से अन्त तक 'जीवन्त बनाये रखा।