एम-सेण्ड इकाइयों के लिए ई-नीलामी: पर्यावरण संरक्षण और रोजगार को बढ़ावा
जयपुर, 5 दिसंबर। राजस्थान खान एवं भूविज्ञान विभाग इसी माह के अंत तक एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए प्लॉटों की ई-नीलामी शुरू करेगा। विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री टी. रविकान्त ने बताया कि नई एम-सेण्ड नीति के तहत फील्ड अधिकारियों को प्लॉट तैयार कर प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
निवेश और रोजगार के नए अवसर
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा जारी नई एम-सेण्ड पॉलिसी के तहत एम-सेण्ड इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। साथ ही, राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स) में विशेष रियायतें प्रदान की गई हैं। इस पहल से राज्य में निवेश और रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा। एम-सेण्ड को बजरी का सस्ता और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प माना गया है, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी।
पर्यावरण संरक्षण और नदियों पर निर्भरता घटाने का प्रयास
नई नीति का उद्देश्य नदियों से बजरी की आपूर्ति पर निर्भरता कम करना और खनन क्षेत्र के आवरबर्डन का बेहतर उपयोग करना है। सरकारी निर्माण परियोजनाओं में बजरी की जगह 50 प्रतिशत तक एम-सेण्ड का उपयोग अनिवार्य किया गया है। साथ ही, राज्य सरकार का लक्ष्य हर साल एम-सेण्ड उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि करना है।
आसान पात्रता और प्रोत्साहन
एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना में पात्रता शर्तों को सरल बनाया गया है। 3 साल के अनुभव और 3 करोड़ टर्नओवर की बाध्यता समाप्त कर दी गई है, जिससे छोटे निवेशक भी इन इकाइयों की स्थापना में भाग ले सकें।
सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल एम-सेण्ड उपलब्ध होगी
नई नीति से न केवल आम नागरिकों को किफायती एम-सेण्ड उपलब्ध होगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार के इस कदम से खनन क्षेत्र को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है।