अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा: अदालत ने पक्षकारों को नोटिस जारी किए
अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने के दावे पर अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इस मामले में दावा किया कि दरगाह के स्थान पर पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। अदालत ने वाद स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलात विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
वाद का आधार
वादी विष्णु गुप्ता ने अजमेर निवासी हर विलास शारदा की वर्ष 1911 में लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए दावा किया कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था। याचिका में कहा गया है कि दरगाह परिसर के बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश मौजूद हैं और तहखाने में गर्भगृह होने का प्रमाण भी है।
पिछली सुनवाई और अगली तारीख
इससे पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता। इसके बाद यह मामला जिला अदालत में पेश किया गया, जहां बुधवार को सुनवाई के दौरान वाद स्वीकार कर लिया गया। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
हिंदू पक्ष का दावा
- दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था।
- मंदिर में पूजा और जलाभिषेक किया जाता था।
- बुलंद दरवाजे में मंदिर के मलबे का उपयोग किया गया।
- तहखाने में गर्भगृह होने का प्रमाण है।
इस मामले में पक्षकारों से जवाब मिलने के बाद ही अदालत में आगे की कार्यवाही होगी। मामला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का है, जिस पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं।