मालपुरा दंगा मामले में 8 दोषियों को उम्रकैद, 5 को संदेह का लाभ
टोंक। 24 साल पुराने मालपुरा दंगा मामले में जयपुर की विशेष अदालत ने आठ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साल 2000 में हिंदू-मुस्लिम तनाव के बाद भड़के इन दंगों में छह लोगों की हत्या हुई थी, जिनमें दो नाबालिग शामिल थे। अदालत ने फैसले में कहा कि दोषियों ने धारदार हथियारों से निर्ममता पूर्वक हत्या की थी, जिसके लिए कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।
हरीराम की हत्या में दोषियों को उम्रकैद
हरीराम की हत्या के मामले में अदालत ने इस्लाम, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद, मोहम्मद जफर, साजिद अली, बिलाल अहमद और मोहम्मद हबीब को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मृतक की पत्नी धन्नी देवी ने एफआईआर में बताया था कि आरोपियों ने खेत जाते समय उनके पति पर धारदार हथियारों से हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई।
कैलाश माली के मामले में 5 बरी
कैलाश माली की हत्या के मामले में अदालत ने पांच आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कैलाश के बेटे ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन अभियोजन पक्ष चश्मदीद गवाह प्रस्तुत करने में असफल रहा। अदालत ने यह माना कि एफआईआर में घटना का विवरण सुनने के आधार पर दर्ज किया गया था।
अन्य मामलों में जल्द फैसला संभव
पीड़ित पक्ष के वकील पुरुषोत्तम बनवाड़ा ने बताया कि मामले से जुड़े अन्य केसों में भी जल्द ही फैसला आने की संभावना है। इनमें 17 आरोपियों के खिलाफ फैसले का इंतजार है, जबकि आठ आरोपी 2016 में ही हाईकोर्ट से बरी हो चुके हैं।
यह मामला 2000 में मालपुरा में दो समुदायों के बीच हुए सांप्रदायिक तनाव का परिणाम था। अदालत के इस फैसले को न्याय और दोषियों को सजा का उदाहरण माना जा रहा है।