सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी: जमानत के बाद मंत्री बनने पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी: जमानत के बाद मंत्री बनने पर उठाए सवाल


गवाहों पर दबाव की आशंका, कोर्ट ने 13 दिसंबर को सुनवाई तय की

  
नई दिल्ली। डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद तमिलनाडु सरकार में मंत्री बनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। मनी लॉन्ड्रिंग और कैश-फॉर-जॉब घोटाले के आरोपी बालाजी को लेकर अदालत ने आशंका जताई कि उनका मंत्री बनना गवाहों पर दबाव डाल सकता है।  

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "हमने आपको जमानत दी, और कुछ ही दिनों में आप मंत्री बन गए। क्या कोई सोच सकता है कि अब वरिष्ठ मंत्री के तौर पर गवाहों पर दबाव नहीं पड़ेगा?"**  

बालाजी के खिलाफ सुनवाई 13 दिसंबर को:
अदालत ने जमानत के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार किया, लेकिन गवाहों पर दबाव की आशंका पर सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख तय की। इस दौरान बालाजी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा।  

जमानत के तुरंत बाद बने मंत्री:  
सेंथिल बालाजी को 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। इसके तीन दिन बाद, 29 सितंबर को उन्हें डीएमके सरकार में फिर से कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने कैश-फॉर-जॉब घोटाले में गिरफ्तार किया था। यह मामला उनके एआईएडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री रहने के दौरान पैसे लेकर नौकरी देने से जुड़ा है।  

गवाहों ने उठाए सवाल: 
शिकायतकर्ता विद्या कुमार ने याचिका दायर कर बालाजी के मंत्री बनने पर सवाल उठाए हैं, जिससे गवाहों पर दबाव की आशंका बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई में गवाहों की सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर विचार करेगी।