आहोर बस स्टैंड की दुर्दशा: विभाग और सरकार की उदासीनता

आहोर बस स्टैंड की दुर्दशा: विभाग और सरकार की उदासीनता
आहोर बस स्टैंड की दुर्दशा: विभाग और सरकार की उदासीनता

पाली। जालौर जिले के आहोर स्थित रोडवेज बस स्टैंड, जो लाखों रुपये की लागत से निर्मित हुआ था, वर्तमान में गंभीर उपेक्षा और अव्यवस्था का शिकार है। सुविधाओं के अभाव और नियमित बस सेवाओं की कमी के कारण यह स्थान अब शराबियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।

सुविधाओं का अभाव और अव्यवस्था

बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। शौचालय और पेयजल जैसी आवश्यक सेवाएँ या तो उपलब्ध नहीं हैं या जर्जर अवस्था में हैं। सफाई व्यवस्था न होने के कारण चारों ओर गंदगी फैली हुई है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।

बसों का ठहराव और संचालन में कमी

स्थानीय निवासियों के अनुसार, अधिकांश रोडवेज बसें बस स्टैंड पर ठहरने के बजाय मुख्य मार्ग से ही गुजर जाती हैं, जिससे यात्रियों को सड़क किनारे बसों का इंतजार करना पड़ता है। इससे न केवल उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि उन्हें धूप और बारिश में खड़े रहना पड़ता है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता

कई वर्षों से बस स्टैंड की इस दुर्दशा के बावजूद, न तो विभाग और न ही सरकार ने इसकी सुध ली है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और निष्क्रियता के कारण स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। कस्बेवासियों ने कई बार बस स्टैंड के स्थानांतरण और सुधार की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

निष्कर्ष

आहोर बस स्टैंड की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही का प्रत्यक्ष उदाहरण है। यदि शीघ्र ही आवश्यक सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल यात्रियों के लिए असुविधाजनक रहेगा, बल्कि क्षेत्र की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।