राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए 14 सवाल: पूछा- जब संविधान में डेडलाइन का जिक्र नहीं, तो कोर्ट राष्ट्रपति-राज्यपाल के लिए समयसीमा कैसे तय कर सकता है?

राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए 14 सवाल: पूछा- जब संविधान में डेडलाइन का जिक्र नहीं, तो कोर्ट राष्ट्रपति-राज्यपाल के लिए समयसीमा कैसे तय कर सकता है?




राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए बिलों पर फैसला लेने की समयसीमा तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से 14 अहम सवाल पूछे, जिनमें न्यायपालिका की भूमिका, संवैधानिक मर्यादा और कार्यपालिका के अधिकारों पर स्पष्टता मांगी गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान में कहीं यह नहीं लिखा है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल को कितने समय में किसी बिल पर मंजूरी देनी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट यह तय कैसे कर सकता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल को तीन महीने में फैसला लेना ही होगा?

यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य सरकार के कुछ बिलों को रोककर रख लिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यपाल के पास वीटो जैसी कोई शक्ति नहीं है और उन्हें बिलों पर समयसीमा के भीतर फैसला लेना होगा। कोर्ट ने राष्ट्रपति के पास भेजे गए बिलों पर भी तीन महीने की समयसीमा तय कर दी थी।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस आदेश के खिलाफ सवाल उठाते हुए न्यायपालिका की सीमाओं पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने पूछा है कि क्या अदालतें कार्यपालिका की संवैधानिक शक्तियों में हस्तक्षेप कर सकती हैं?

यह मामला अब एक बड़े संवैधानिक बहस का रूप ले चुका है, जिसमें राष्ट्रपति, न्यायपालिका और संघीय ढांचे की भूमिका को लेकर नए सवाल उठ खड़े हुए हैं।