आपराधिक नेताओं पर आजीवन बैन की मांग को केंद्र ने बताया गैरजरूरी

आपराधिक नेताओं पर आजीवन बैन की मांग को केंद्र ने बताया गैरजरूरी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 6 साल का अयोग्यता प्रावधान पर्याप्त है और यह पूरी तरह संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।

यह मामला वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आपराधिक मामलों में दोषी सांसदों और विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध की मांग की थी। उन्होंने रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट, 1951 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी।

केंद्र सरकार ने जवाब में कहा कि संसद को अयोग्यता की अवधि तय करने का पूरा अधिकार है और यह अनुपातिकता व तर्कसंगतता के आधार पर निर्धारित की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट का 2013 का फैसला

गौरतलब है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 2 साल से अधिक की सजा पाए सांसदों-विधायकों को तत्काल प्रभाव से सदन से निष्कासित कर दिया जाएगा।