भीषण गर्मी के बीच अग्नि तपस्या कर रहे है योगी बाबा रामनाथ
मिट्टी के धोरों के बीच की जा रही एक बाबा की तपस्या बनी चर्चा का विषय
रामनाथ जी महाराज अग्नि तपस्या के माध्यम से विश्वकल्याण की कर रहे हैं कामना
बाबा की तपस्या देखने के लिए दूरदराज से आ रहे हैं श्रद्धालु
रिपोर्ट पवन शर्मा सरदारशहर। भारत देश को ऋषि मुनियों की धरती कहा जाता है। सदियों से ही ऋषि-मुनियों ने त्याग तपस्या कर इस देश में खुशहाली की कामना की है। वहीं धोरों की धरती सरदारशहर में अनेकों ऐसे साधु, संत हुए हैं जिन्होंने अपनी तपस्या ओर बलिदान से इस धरा को पावन पवित्र किया है। एक से बढ़कर एक चमत्कारी, करामाती, तपस्वी साधु महात्मा संत हुए हैं। जिसके चलते यह पावन धरा महात्माओं की तपोभूमि बनी हैं। हमने किताबों में पढ़ा है कि ऋषि-मनियों द्वारा कई प्रकार की कठिन तपस्या की जाती है। लेकिन उन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। लेकिन सरदारशहर के पातलीसर गांव में योगी बाबा रामनाथ द्वारा की जा रही अग्नि तपस्या को देखकर हर कोई विश्वास करने पर मजबूर हो जाता है। वहीं चुरू जिले के सरदारशहर में मिट्टी के धोरों के बीच की जा रही एक बाबा की तपस्या चर्चा का विषय बनी हुई है। सरदारशहर में इस समय सूर्य देवता आग उगल रहे हैं। प्रचंड गर्मी से हर कोई बेहाल है। धरती मानों भट्टी की तरह जल रही है। चूरू तापमान के मामले में हमेशा ही अव्वल रहता है। मई और जून महीने में तापमान 45 से 50 डिग्री के बीच रहता है। इस बीच तहसील के गांव पातलीसर में योगी बाबा जगन्नाथ जी आश्रम में योगी बाबा रामनाथ जी महाराज अग्नि तपस्या के माध्यम से विश्वकल्याण की कामना कर रहे हैं। जो कोई भी यहां पहली बार आता है उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और एक ही शब्द मुंह से निकलता है कि यह कैसे संभव हो सकता है। जहां इस भीषण गर्मी में सामान्य तौर पर आदमी इस तरह से खुले आसमान के नीचे नहीं बैठ सकता, वहीं चारों और अग्नि जलाकर इस तरह की तपस्या करना पर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है।
बाबा की हैं 41 दिवसीय नोधूणी तपस्या
सरदारशहर तहसील से 30 किलोमीटर दूर गांव पातलीसर में मिट्टी के धोरे के उपर बना योगी बाबा जगन्नाथ जी आश्रम में 6 मई से योगी बाबा रामनाथ जी महाराज अग्नि तपस्या कर रहे हैं। यह तपस्या 15 जून तक चलेगी। बाबा का यह आश्रम मिट्टी के टीलों के बीच बना हुआ है। बाबा राम नाथ जी महाराज की यह तीसरी तपस्या है। इससे पहले भी बाबा दो बार ऐसी प्रचंड गर्मी के बीच तपस्या कर चुके हैं।
भीषण गर्मी के बीच में बाबा की तपस्या
बाबा राम नाथ जी महाराज 45 से 50 डिग्री तापमान के बीच अग्नि तपस्या कर रहे हैं। गांव के सरपंच तिलोकचंद सुथार ने बताया कि बाबा के चारों ओर नो धूणे जलाए जाते हैं । बाबा की यह तपस्या दोपहर 12:15 बजे शुरू होती है जो कि 2:15 बजे तक चलती है। बाबा की तपस्या के लिए एक विशेष स्थान तय किया गया है। जिसमें बाबा बीच में बैठते हैं और चारों और 5 फीट की दूरी पर गोबर के कंडे की धूणी बनाकर उनको जला दिया जाता है। इस भीषण गर्मी में जलती हुई आग के बीच बाबा एक ही अवस्था में मौन धारण करके हाथ में 108 कंठी माला लिए हुए बैठे रहते हैं। अलाव का ताप इतना तेज होता है कि सामान्य आदमी जलती हुई आग के 50 फीट दूरी से भी भयंकर ताप महसूस करता है। लेकिन बाबा इन नो जलते हुए धुणो के बीच एक ही अवस्था में बैठे रहते हैं। तपस्या के दौरान बाबा के शरीर पर महज एक धोती रहती है। इसके अलावा जब तक बाबा की तपस्या चलेगी तब तक बाबा अन भी ग्रहण नहीं करते हैं। बाबा महज एक समय फलाहार लेते है।
बाबा की तपस्या देखने के लिए दूरदराज से आ रहे हैं लोग
गांव के जगदीश प्रसाद और कल्याण सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में बाबा की बड़ी मान्यता है बाबा को प्रकृति से बेहद लगाव है। बाबा की तपस्या को देखने के लिए भीषण गर्मी के बीच दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं और आश्रम में बड़ी संख्या में आए हुए महिला और पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा हरि कीर्तन किया जाता है। जब तक बाबा की तपस्या चलती है तब तक वहां उपस्थित श्रद्धालु हरि कीर्तन करते रहते हैं। बाबा की तपस्या जिस दिन समाप्त होगी। उस दिन आश्रम में विशाल जागरण और भंडारा का आयोजन किया जाएगा।
ईश्वर को खुश करने के लिए की जाती हैं बाबा के द्वारा तपस्या
बाबा योगी रामनाथ ने बताया कि संत हमेशा परमार्थ के लिए रहता है। संत जो भी करता है वह परमार्थ के लिए करता है। विश्व की एकता अखंडता बनाए रखने के लिए संत यह तपस्या करते हैं। सभी प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो ओर पाप का विनाश हो, देश खुशहाल हो। इसलिए संत नों धुणी तपस्या जेठ के महीने में ही करते हैं। परमात्मा को खुश करने के लिए यह तपस्या की जाती है।
सदियों से होती रही है ऐसी तपस्या
प्रधान प्रतिनिधि मधुसूदन राजपुरोहित ने बताया कि मैं पिछले 3 साल से देख रहा हूं बाबा राम नाथ जी महाराज इस तरह की कठोर तपस्या करते है। अपने चारों और धुणा लगाकर इस गर्मी में तपती धूप में बाबा जो तपस्या कर रहे हैं। निश्चित रूप से समाज को इसका लाभ होगा। हालांकि ऐसी तपस्याओं से बाबाओं को बड़ी तकलीफ पीड़ा भी होती होगी। लेकिन सनातन धर्म में इस तरह की तपस्या बहुत सारे संत महात्मा करते हैं और इसका प्रतिफल समाज को मिला है। भाजपा नेता शिवचंद साहू ने बताया कि भारत में सदियों से ही आदि देव की उपासना होती रही है। आदिदेव के रूप में हमारे देव महादेव शिव जो है वो हमारे सर्व मान्य देव रहे हैं और शिव हमेशा तपस्या के माध्यम से संदेश देते रहे हैं। उन्ही के अनुयायियों में एक गुरु गोरखनाथ जी हुए उन्होंने धुणा के माध्यम से तपस्या के माध्यम से मानव कल्याण किया। भारत तपोभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त रही है। यहां के अनेकों ऋषि-मुनियों ने तप के माध्यम से यज्ञ के माध्यम से और धुणा को रमाते हुए जनकल्याण का प्रचार किया है। अपने मन को इस धुणा के माध्यम से जैसे सोना तपकर कुंदन हो जाता है वैसे ही हमारे ऋषयों ने अपने आपको त्याग और तपस्या कर इतना पवित्र आत्मा के रूप में स्थापित किया है। ताकि उनके मन में कोई रागद्वेष, मलिन, अहंकार नहीं रहे, जो सारी विपदाओं का अंत हो जाए, उस आग में उनका सर्वनाश हो जाए, उसके बाद एक पवित्र आत्मा संदेश देवे। ऐसे ही तपोभूमि पर ऐसी ही तपस्या बाबा रामनाथ जी पातलीसर गांव में कर रहे हैं। उनका धुणा भी मान्यता प्राप्त है। लोगों में बड़ी आस्था है। नो धुणो के बीच में बैठकर बाबा जी जो तपस्या कर रहे है निश्चित रूप से इनका संदेश मानव कल्याण के लिए जाएगा, विश्व कल्याण के लिए जाएगा। भारत देश में यूं तो अनादि काल से ही तपस्या होती रही है। लेकिन आज के समय में इस प्रकार की तपस्या के बारे में कल्पना करना और ऐसे तपस्याओं को होते हुए देखना रोमांचित करता है साथ ही साथ इस बात की और इंगित भी करता है कि आज भी हमारे देश में ऐसे ऋषि मुनि तपस्वी हैं जो अपने शरीर की परवाह न करते हुए विश्वकल्याण व मानव कल्याण की कामना करते हैं।