लोमहर्ष की 'प्लैनेट' ने 17वें JIFF में जीता बेस्ट शॉर्ट फिल्म फिक्शन अवॉर्ड: जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई का जोरदार आह्वान
लोमहर्ष की 25 मिनट की शॉर्ट फिल्म प्लैनेट ने 17वें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) में बेस्ट शॉर्ट फिल्म फिक्शन अवॉर्ड जीतकर बाजी मार ली है।
लोमहर्ष की 25 मिनट की शॉर्ट फिल्म प्लैनेट ने 17वें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) में बेस्ट शॉर्ट फिल्म फिक्शन अवॉर्ड जीतकर बाजी मार ली है। यह फिल्म, जो वैश्विक जलवायु संकट पर गहराई से प्रकाश डालती है, पांच बच्चों की प्रेरणादायक कहानी कहती है, जो ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी प्रभावों को देखकर पृथ्वी को बचाने की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।
प्लैनेट अपनी अनोखी कहानी और संदेश के कारण खास है। यह फिल्म जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बच्चों की नजर से दिखाती है। फिल्म की कहानी एक शिक्षक के अभिनव शिक्षण तरीकों से प्रेरित है, जो अपने छात्रों को पर्यावरणीय विनाश की गंभीरता को समझने के लिए प्रेरित करते हैं। जब बच्चों को महसूस होता है कि वयस्क पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं, तो वे खुद पहल करते हुए बदलाव लाने के लिए निकल पड़ते हैं।
फिल्म का संदेश व्यापक रूप से सराहा गया, और इसे 12वें सीएमएस वातारवरण फिल्म फेस्टिवल में सेमी-फाइनलिस्ट के रूप में मान्यता मिली। यह सफलता यह साबित करती है कि सिनेमाई कहानी कहने में वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कितनी ताकत है।
इंडो-ऑस्ट्रेलियाई फिल्ममेकर लोमहर्ष, जो अपनी प्रभावशाली और विचारोत्तेजक सामग्री के लिए जाने जाते हैं, ने प्लैनेट के जरिए एक बार फिर अपनी कहानी कहने की प्रतिभा को साबित किया है। उनकी पिछली फिल्मों जैसे ये है इंडिया, चिकन बिरयानी सीरीज, और मिंटू को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। प्लैनेट में, लोमहर्ष ने सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों को रोचक कहानियों में ढालने की अपनी क्षमता को और मजबूत किया है, जो दर्शकों को प्रेरित करती हैं।
फिल्म के भावनात्मक पक्ष को संगीतकार कुमार दीपक के संगीत ने और गहराई दी है, जिसमें अल्तमश फारुकी और स्वाति शर्मा की आवाजें शामिल हैं। नीतू पांडे क्रांति के लिखे गीत फिल्म की कहानी में काव्यात्मक आयाम जोड़ते हैं।
फिल्म में संजय व्यास, मिताली नंकानी, ईशान शर्मा, मेहुल शर्मा, तनय शर्मा, वेदनाथ शर्मा, दिव्यांशी तंवर और जीवराज सिंह शेखावत जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है। उनकी अदाकारी ने कहानी को सजीव और यथार्थपूर्ण बना दिया है, जिससे जलवायु संकट की गंभीरता और भावनात्मक भार स्पष्ट रूप से झलकता है।
कास्टिंग डायरेक्टर कुमार श्याम (श्याम प्रजापत) ने नए और प्रतिभाशाली कलाकारों का चयन किया, जिससे कहानी को वास्तविकता का स्पर्श मिला। सिनेमैटोग्राफर राज किरण गुप्ता और एडिटर वरुण दया शंकर ने लोमहर्ष के साथ मिलकर फिल्म को एक विजुअल मास्टरपीस बनाया। वहीं, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर अविनाश कुमार और प्रोडक्शन टीम शीलॉम मीडिया एलएलपी ने निर्देशक की सोच को सफलतापूर्वक साकार किया।
आर्ट डायरेक्टर विनय सिंह और मेकअप आर्टिस्ट शकील खान ने अपनी विशेषज्ञता से फिल्म की वास्तविकता और भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाया।
लोमहर्ष और प्रोड्यूसर संदीप चौधरी की जोड़ी ने ये है इंडिया, चिकन बिरयानी, और अब प्लैनेट के साथ पुरस्कार विजेता हैट्रिक बनाई है। इन तीनों फिल्मों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा और पुरस्कार मिले हैं।
प्लैनेट न केवल एक मनोरंजक शॉर्ट फिल्म है, बल्कि यह दर्शकों, खासकर युवा पीढ़ी को, पर्यावरण की रक्षा के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाने की प्रेरणा देती है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही दुनिया में प्लैनेट एक समयानुसार याद दिलाने वाला संदेश है कि हमारा भविष्य बचाने की जिम्मेदारी सभी की है, चाहे उनकी उम्र जो भी हो।
फिल्म अब वैश्विक फिल्म फेस्टिवल्स में अतिरिक्त स्क्रीनिंग के लिए तैयार है, जहां इसका शक्तिशाली संदेश और सिनेमाई उत्कृष्टता दर्शकों को प्रभावित करती रहेगी।