स्वतंत्रता के बाद की कहानियों में हुआ काफी हेरफेर: धनखड़

एजेंसी
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को दुख जताया कि भारत की इतिहास की किताबों में स्वतंत्रता संग्राम के कुछ नायकों के साथ अन्याय हुआ है, क्योंकि स्वतंत्रता के बाद की कहानियों में हेरफेर करके केवल चुनिंदा व्यक्तियों को श्रेय दिया गया। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए बिना किसी लाग-लपेट के ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है। उपराष्ट्रपति ने किसानों से बातचीत और समझ के माध्यम से समस्याओं के समाधान के लिए काम करने का भी आह्वान किया। राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश अपने इतिहास को उन लोगों को 'कृपालु, चाटुकार, श्रेय देकर पोषित नहीं कर सकता, जिन्होंने निश्चित रूप से भूमिका निभाई, लेकिन दूसरों ने जो भूमिका निभाई, उसे नहीं। हम अपने नायकों को छोटा नहीं होने दे सकते। उन्होंने कहा कि
22 नवंबर 1957 को लोक सभा में राजा महेन्द्र प्रताप एक प्रस्ताव लाए कि हमें वीर सावरकर, वीरेंद्र कुमार घोष और डॉ. भूपेन्द्रनाथ दत्त को सम्मनित करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने देश के मामलों और आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान किया है।