जब इमोशन्स पर नहीं रहता कंट्रोल: जानें क्या है 'एमिग्डला हाइजैक', कैसे बनता है गलत फैसलों की वजह और बचाव के तरीके

गुस्से में बेकाबू होना, खुशी में उछल पड़ना या डर से कांप जाना—क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब क्यों होता है? इसका सीधा संबंध है दिमाग के एक हिस्से ‘एमिग्डला’से। यही हिस्सा हमारे भावनात्मक रिस्पॉन्स को कंट्रोल करता है।
जब भावनाएं बेहद तेज होती हैं—जैसे अचानक गुस्सा, डर या खुशी—तो एमिग्डला लॉजिकल सोच पर हावी हो जाता है। इस स्थिति को ही कहते हैं ‘एमिग्डला हाइजैक’। इसमें इंसान सोच-समझकर फैसला नहीं ले पाता, बल्कि भावनाओं के बहाव में बह जाता है।
ऐसी स्थिति में हम—
दूसरों पर चिल्ला बैठते हैं
रिश्तों में गलतफहमियां पैदा कर देते हैं
बाद में पछतावा करते हैं
लक्षण क्या होते हैं?
तेज सांसें, धड़कनों का बढ़ना, चेहरे पर गुस्सा या डर, निर्णय लेने की क्षमता का कम होना।
बचाव कैसे करें?
गहरी सांस लें और 10 तक गिनें
माइंडफुलनेस या ध्यान (Meditation) अपनाएं
किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें
खुद को समय दें फैसले लेने से पहले
फिजिकल हेल्थ का यह पहलू बताता है कि मानसिक स्थिरता कितनी जरूरी है। क्योंकि, सेहत सिर्फ शरीर की नहीं, मन की भी होती है।