दरगाह उर्स:ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन की दरगाह से मुख्य चादर ; गाजे-बाजे के साथ निकला जुलूस मजार पर पेश हुई मुख्य चादर उर्स उर्स का समापन आज
फतेहपुर शेखावाटी
देश के कोने—कोने से पहुचें जायरीन की जयारत
फतेहपुर। मजार पर पेश हुई मुख्य चादर उर्स उर्स मे देश प्रदेश से हजारों की संख्या मे रोजना जायरीन पहुंच रहे है।
शहर की ऐतिहासिक दरगाह ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी चिश्ती अल्फारुकी में गुरूवार को 157 वें उर्स का आज समापन होगा। परंपरा के अनुसार दरगाह के अहाता ए नूर से शान ओ शौकत के साथ जुलूस की शुरूआत हुई । गाजे बाजे और कव्वाली के साथ निकले जुलूस में कलंदर व मलंग हैरतअंगेज करतब पेश करते हुए चल रहे थे । सिर पर चादर लिए हुए थे। अकीदतमंद चादर पर फूल पेश कर रहे थे। बुधवार को मुख्य चादर का शाही जुलुस निकाला जिसमें देश भर से जायरीन जुटे। दरगाह शरीफ मे चादर जुलुस पहुचनें पर सहजादा नसीन व मुत्त्वल्ली पीर गुलाम नसीर ने बुलन्द दरवाजें पर पर जुलुस का इस्तकबाल कर चादर को हजरत ख्वाजा मोहम्मद नजमुद्दीन साहिब सुलैमानी चिश्ती की मजार ए —अकसद की। उर्स मे मदरसा बोर्ड चेयरमैन एम डी चोपदार ,भाजपा नेता मधूसूदन भिंडा, पूर्व विधायक नन्दकिशोर महरिया सहित देश भर से आये जायरीनो ने जयारत की।
जिसमें मुख्य चादर का जुलूस मोहल्ला चेजारान से शुरू होकर पूरे लवाजमे और शानो शौकत के साथ दरगाह शरीफ पहुंचा। ढोल-नगाड़े बैण्ड-बाजे उंट व घोड़े इत्यादि से जुलूस की रौनक देखते ही बनती थी। जुलूस का मुख्य आकर्षण मलंगों का लश्कर व नासिक से आए ढोल बजाने वालों ने सभी का मन मोह लिया। बुलन्द दरवाजे पर दरगाह के सज्जादा गुलाम नसीर ने बाकायदा रश्मो रिवाज से चादर लेकर मुख्य मजार पर चांदी की चादर पेश की। चादर व पुष्प पेश करने के बाद पीर गुलाम नसीर साहब ने मुल्क में अमन और चैन की दुआ मांगी और सभी जायरीनों के लिए भी दुआ मांगी। शहर कोतवाल गुर भुपेन्द्र सिंह पूरे पुलिस लवाजमे के साथ मौजूद थे। जुलूस साम्प्रदायिक सौहार्द के मुख्य मार्गों से निकला।
भारत के मशहूर कव्वाल चांद अफजल कादरी, कुरबान फरीद अजमेरी,ऐजाज साबरी,जुबैर नईम अजमेरी,सरफराज अनवर साबरी, नजमी बद्रर्स जयपुरी ने नजम हमारा सलाम लेलो के कलाम 'वली है, कुतुब है, कलन्दर है ख्वाजा तुम्हारे भिखारी सिकन्दर है ख्वाजाÓ, 'तेरा चेहरा है नुरानी ए नजमुदीन सुलेमानी तु मजहरे खास रहमानी ए नजमुदीन सुलेमानीÓ, 'नहीं दर से कोई जाता है खाली शाह नजमुदीन, जमाना है तेरे दर का सवाली शाह नजमुदीनÓ, 'वाह क्या मन्जर है ख्वाजा नजम के दरबार का जर्रा जर्रा जगमगाता है दरो दीवार काÓ और 'नजम हमारा सलाम लेलोÓ गा कर खूब समां बांधा।
दरगाह की तरफ से नजरुल हसन फ ारूकी ने बताया कि दरगाह शरीफ में गुरूवार कुल शरीफ की रस्म अदा की जायेगी जिसके साथ उर्स का आधिकारिक तौर पर समापन किया जायेगा।