चार द्विवसीय गींदड नृत्य का समापन

राजलदेसर कस्बे की बात करें तो गींदड नृत्य के लिए देश विदेश में अपनी पहचान रखता है। यह एक परम्परागत नृत्य भी है जो 400 चार से लगातार चल है है। बुर्जगो के अनुसार 1607 में राव बिकाजी के पुत्र राजासी को राजलदेसर की जागीर मिलने पर यह नृत्य शुरू हुआ जो आजतक जारी है। एकादशी से शुरू होकर पुर्णिमा तक यह नृत्य जारी रहता है। अन्तिम दिन रात्री में यह लगभग 12 घंटे लगातार चलता है जो भी एक रिकार्ड है। ढोल नगाड़ों व बाँसुरी की धुनों के साथ मीठी-मीठी धमाल पर पर पुरूष गींदड़ खेलते हैं तो होली के रसियो के पाँव अपने आप थिरकने पर मजबूर हो जाते हैं, ऐसे में शेखावाटी के गींदड़ नृत्य का जिक्र ना हो तो होली की खुशियां अधूरी रहती है। यहाँ का गींदड़ नृत्य इतना अनूठा है कि दूर दराज से व प्रवासी भारतीय भी गींदड़ देखने के लिये आने लगे हैं, मुलचन्द सोनी बताया कि गींदड़ नृत्य में गींदड नृत्य की लोक संस्कृति व ग्रामीण परिवेश की झलक देखने को मिलती है।पूर्णिमा की चांदनी रात में दूधिया रोशनी में पुरुष कई तरह के स्वांग रचकर ढोल, नगाड़ों,बांसुरी व चंग की थाप पर नृत्य करते हैं।गींदड़ में जहां एक विभिन्न देवी देवताओं के स्वांग सहित विभिन्न प्रकार की मेहरीया अपनी और आकर्षित करती है। राजलदेसर के प्रवासी दिपावली पर घर न आये लेकिन होली त्योहार पर अवश्य राजलदेसर पधारते हैं।युवा वर्ग भी सोशियल मिडिया को छोड़ हमारी लोक संस्कृति में रहते हैं। खुशी की बात है हम आज भी चार सौ से हमारी संस्कृति को बचा रहा है।कस्बेवासी सभी अपने परम्परागत नृत्य की व्यवस्था स्वयं ही करते हैं। बुजुर्ग की सुने तो 418 साल पहले 1607 में राव बिकाजी के बेटे राजसी को जागीर मिलने की खुशी में शुरू हुआ था। जो राजलदेसर की घिन्दर परम्परा बन गया है।कस्बे में लगे शिलापट्ट के आधार पर कस्बे की बसावट 600 वर्ष पुर्व में हुई थी। राव बिकाजी के पुत्र राजसी को 1607 में जागीर मिलने पर होली पर्व पर गींदड नृत्य की शुरूआत हुई थी। गींदड नृत्य में सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर नृत्य कर आनन्द उठाते हैं। उस समय से आजतक यह परम्परा जारी है। पुर्व में घिन्दर नृत्य चार स्थानों पर होता है। जो अब मैन बाजार तथा गांधी चौक में होता है। कस्बे की दोनों जगह अलग-अलग कमेटियां बनाई जाती है। गांधी में गांधी चौक गींदड नृत्य कला मण्डल तथा मैन बाजार में लोक नृत्य एवं गींदड परिषद द्वारा कस्बेवासियों के सहयोग तथा प्रवासीयो के सहयोग से आयोजित किया जाता है। गत वर्ष नगरपालिका द्वारा सहयोग करवाया गया था। इस बार गींदड नृत्य का आयोजन ऐतिहासिक रखा। गीदड़ चौक को दुल्हन की तरह सजाया गया।