राजस्थानी भाषा व संस्कृति पर मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष डॉ. कच्छावा ने किया संवाद
जयपुर टाइम्स
सुजानगढ़। प्रभा खेतान फाउण्डेशन और ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के तत्वावधान में विगत दिवस जयपुर के आईटीसी राजपुताना होटल में आखर के आयोजन में सुजानगढ़ के साहित्यकार डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास से राजस्थानी भाषा, साहित्य व संस्कृति पर रोचक संवाद किया। आखर के सूत्रधार प्रमोद शर्मा ने बताया कि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने न्यायाधिपति गोपाल कृष्ण व्यास से उनकी जीवन यात्रा से जुड़े संस्मरणों, राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होने के नाते विश्व मातृभाषा दिवस पर राजस्थानी में कोर्ट की कार्यवाही करने का नवाचार, राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए मानवाधिकार आयोग द्वारा की गई कार्यवार्ही, राजस्थानी गीतों के भावपूर्ण गूढ़ अर्थांे के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सवाल किये, जिसका गोपाल कृष्ण व्यास ने बहुत प्रभावी ढंग से जवाब दिया। गोपाल कृष्ण व्यास ने इस संवाद कार्यक्रम में कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्ध भाषाओं में से एक है और उन्हें विश्वास है कि अब शीघ्र ही इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जाकर मान्यता प्रदान की जाएगी। राजस्थानी भाषा में हुए इस आयोजन में गोपाल कृष्ण व्यास ने अपनी मातृश्री लोक गायिका फतेह कुमारी व्यास के चुनींदा लोक गीत भी गाकर सुनाएं। साथ ही श्रोताओं की मांग पर किक्रेट कॉमेंट्री व अन्य लोकगीत गाकर आयोजन को यादगार बना दिया। कार्यक्रम के समापन गोपाल कृष्ण व्यास ने महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की अमर रचना -धरती धोरां री.. गाकर किया। संवाद कार्यक्रम से पूर्व आखर पोथी में हाड़ौती अंचल के तीन रचनाकार विजय जोशी की भावां री रमझोळ, किशन प्रणय की अबखायां रा रींगटा, और नंदू राजस्थानी की कदै आवसी भौर का विमोचन हुआ और इन तीनों पुस्तकों पर डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा, डॉ नंदकिशोर महावर व मीनाक्षी पारीक ने समीक्षात्मक विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के प्रमोद शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर फिल्म निर्देशक सुरेश मुदगल, आकाशवाणी की कार्यक्रम अधिकारी चित्रा पुरोहित, दूरदर्शन की कामना राजावत, कोटा के जितेन्द्र निर्मोही, मान कंवर शेखावत, योगिता शर्मा, कवयित्री दीपा सैनी, मोनिका गौड़, प्रेमलता शर्मा, सुशीला शर्मा, डॉ चारू संकलेचा, चित्रकार ब्रजराज राजावत आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे। संचालन अभिलाषा पारीक ने किया।