अष्टान्हिका महापर्व
सवाई माधोपुर सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा जैन धर्म का 8 दिवसीय अष्टान्हिका महापर्व सोमवार से उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है। इस दौरान धर्मावलंबी जिनाभिषेक,शांतिधारा,विशेष रूप से नंदीश्वर दीप,पंचमेरू और जिनबिम्ब की परिकल्पना कर भक्ति भाव से पूजा-अर्चना के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेकर एवं व्रत,उपवास रख पर्व के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं। जिससे नगर परिषद क्षेत्र के जिनालयों में श्रद्धा का वातावरण बना हुआ है।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि पर्व के दौरान आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में बुधवार को राजनगर कॉलोनी स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुबह जिनेंद्र भक्तों ने मांगलिक क्रियाओं सहित जिनाभिषेक किया एवं विश्व शांति की कामनार्थ वरिष्ठ श्रावक सुमत जैन श्रीमाल ने प्रभु चरणों में शांतिधारा प्रवाहित कर जिनेंद्र देव को चंवर ढुलाए।
इसके उपरांत भजनों की मधुर स्वर लहरियों के बीच अष्ट द्रव्यों से पर्व की पूजन कर अपनी श्रद्धा भक्ति प्रकट की।
वहीं पूजन के दौरान सपना जैन,हेमलता जैन,शकुंतला जैन,तारा कासलीवाल व संपत जैन ने भक्ति पूर्ण भजनों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर पूजार्थियों को भक्ति के रंग में रंग दिया।
इस अवसर पर मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष दिनेश जैन,मंत्री अनिल जैन श्रीमाल,वरिष्ठ श्रावक विमल जैन,कैलाश जैन पल्लीवाल,योगेंद्र पांडया व मनोज जैन श्रीमाल सहित समाज के प्रबुद्ध महिला-पुरुष मौजूद थे।
मुनि संघ ने किया मंगल प्रवेश
दिगंबर जैनाचार्य वर्धमान सागरजी के संघस्थ मुनि सुप्रभसागर व दर्शितसागर जी ने श्रीमहावीरजी से पद विहार कर विभिन्न मार्गों से होते हुए अहिंसा सर्किल आलनपुर स्थित दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी मंदिर में बुधवार की सुबह अगुवानी एवं जयकारों के बीच मंगल प्रवेश किया।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि मुनियों के चमत्कारजी मंदिर पहुंचने पर मंदिर के प्रवेश द्वार पर चमत्कारजी मंदिर के पंडित आशीष जैन शास्त्री,मैनेजर दीपक सौगानी,पुजारी राजेश जैन श्रीमाल व सर्वार्थसिद्धि नवयुवक मंडल रणथंभौर के प्रचार प्रसार प्रभारी मनोज सौगानी सहित समाज के गणमान्य लोगों ने मुनि संघ के पद प्रक्षालन किये और मंगल आरती उतार भव्य अगवानी की।
रंगोली सजाई
वहीं श्री दिगंबर जैन महिला महासमिति की सांस्कृतिक मंत्री बीना गंगवाल के निर्देशन में मुनि संघ के सम्मान में सौभाग्यवती महिलाओं ने मंगल स्वरूप कलश धारण किए एवं मंदिर के प्रवेश द्वार पर रंगोली सजाई गई। जैसे ही मुनि संघ ने मंदिर में प्रवेश किया तो मंदिर परिसर मुनियों के जयकारों से गुंजायमान हो गया। मुनियों ने मंदिर की वेदियों में विराजित जिनेंद्र प्रतिमाओं के दर्शन किए।
इसके उपरांत मुनि सुप्रभसागर जी ने गागर में सागर भरते हुए कहा कि भोगों से विरक्त होकर रत्नत्रय के साथ आत्मा का चिंतन कर सर्वोत्तम मनुष्य पर्याय को सार्थक करना चाहिए। श्रावकगणों ने मांगलिक प्रवचनों से अपने ज्ञान चक्षुओं को तृप्त किया।