राजस्थान नर्सेज संयुक्त समिति के आहवान पर कांवट- खंडेला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के नर्सिंग कार्मिकों ने कार्य बहिष्कार किया
वेतन विसंगतियों को दूर करने की माँग
कार्य बहिष्कार के दोरान मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी
कांवट, राजस्थान नर्सेज संयुक्त समिति के आहवान पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कांवट व खंडेला पर कार्यरत समस्त नर्सिंग कार्मिकों द्वारा 2घण्टे का (8.Am to 10.Am) कार्य बहिष्कार कर अस्पताल के मुख्य द्वार पर नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया गया। नर्सिंग प्रभारी ओमप्रकाश जाट ने बताया कि राज्य सरकार से 11 सूत्री मांग पत्र को लेकर दो घण्टे कार्य बहिष्कार किया गया। इस पौरान आपातकालीन सेवाजे पूर्णत चालू रही।
राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति मांग पत्र की मुख्य मांगे में
1. वेतन भत्तों की विसंगति दूर कर केन्द्र एवं दिल्ली के समान की जावे।
2. समस्त नर्सिंग संवर्ग के कैडर का पुनर्गठन किया जायें।
3. एएनएम एवं नर्सिंग ट्यूटर्स का पदनाम परिवर्तन किया जायें।
4. संविदा सेवा नियमित हुए नर्सिंग कार्मिको की संविदा सेवा काल का नोशनल लाभ दिया जाकर व उक्त अवधी के उपार्जित अवकाश दिये जायें।
5. नर्सिंग कार्मिको की प्लेसमेंट एजेन्सी एवं संविदा भर्ती पर रोक लगाई जाकर, यूटीवी/ एनएचएम / आरएमआरएस/प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा लगे हुए नर्सेज को नियमित किया जावे एवम इनका वेतनमान न्यूनतम 26500 किया जावें।
6. स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय की स्थापना की जावें।
7. नर्सिंग संवर्ग के सभी कार्मिकों की समयबद्ध पदोन्नति सुनिश्चित की जावें
8. नर्सिंग ट्यूटर एवं नर्सिंग ऑफिसर का पद राजपत्रित किया जाकर प्रिंसिपल को आहरण वितरण अधिकार दिये जायें।
9. नर्सिंग कार्मिको का ड्रेस कोड बदला जावे, उन्हे प्राथमिक उपचार का अधिकार दिया जावें एवं जॉब चार्ट के अनुसार ही कार्य कराया जावें।
10. सेवारत विभागीय उच्च प्रशिक्षणों में चिकित्सकों की भाती अध्ययन अवकाश दिया जावे एवम् उच्च योग्यताधारी बीएससी / एमएससी नर्सिंग को दो/तीन अतिरिक्त वार्षिक वेतन वृद्धि जावें।
11. नर्सिंग प्रशिक्षणार्थियों के स्टाइपेंड में वृद्धि की जावें।
इस दौरान कार्य बहिष्कार में श्रीराम फोगावट, सुमन वर्मा, उत्तम सेन, महेंद्र कुमार यादव, कमलेश कुमार सैनी, पहलाद राम बुनकर, अशोक कुमार स्वामी, मुकेश कुमार कुमावत आदि सभी ने भाग लेकर कार्य बहिष्कार किया। कार्य बहिष्कार के दोरान चिकित्सालय के जनरल बार्डों के बैड खाली रहे व सामान्य मरीजों को डाक्टरों ने नर्सिंग सेवाएँ दी तथा कुछ को परेशानी झेलनी पड़ी।