अनुसंधान प्रविधि के विविध आयाम पर दस दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन
सरदारशहर। शहर के उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान मानित विश्वविद्यालय गांधी विद्या मंदिर द्वारा आयोजित ‘अनुसंधान प्रविधि के विविध आयाम’ विषय पर वर्चुअल माध्यम से आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का समापन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों ने अनुसंधान की प्रक्रिया, प्रविधि और संबंधित तथ्यों की बहुआयामी जानकारी प्राप्त की। समापन समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो बीएल शर्मा ने आधुनिक प्रतियोगी युग में अनुसंधान की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए कहा कि एक शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के लिए अनुसंधानात्मक अध्ययन श्रेष्ठता की कसौटी है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए समकुलपति प्रो पुष्पा मोतियानी ने शोध प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं पर ध्यानाकर्षण करते हुए एकाग्रता अपनाने की बात कही। कार्यशाला निदेशक डॉ विदुषी आमेटा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया की कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में अनुसंधान की अवधारणा, प्रकृति, क्षेत्र, तथ्य संग्रहण, प्राक्कल्पना, साहित्य समीक्षा, अनुसंधान
नैतिकता, प्रश्नावली, अनुसूची, साक्षात्कार, वृत्त अध्ययन, अनुसंधान
लेखन, प्राथमिक स्रोतों का उपयोग आदि विषयों की बारीकियों को साझा किया गया। कार्यशाला में सन्दर्भ व्यक्ति के रूप में इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो शिवप्रसाद
शुक्ला, गुजरात विद्यापीठ के प्रो रामगोपाल सिंह, संस्कृति यूनिवर्सिटी
मथुरा की प्रो रेणु गुप्ता, इन्दिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय,
अमरकंटक के डॉ विनोद सेन, जेईसीआरसी विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रो संजय गौड़, उदयपुर
स्कूल ऑफ सोशल वर्क के डॉ लालाराम जाट, लोहिया महाविद्यालय चूरू के डॉ एमएम शेख, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के डॉ नितिन गोयल, सम्राट अशोक टेक्नॉलोजीकल इन्स्टीट्यूट विदिशा के डॉ जेके लोढ़ा, एसकेडी विश्वविद्यालय के डॉ राजेन्द्र कुमार व आयोजक विश्वविद्यालय के प्रो आरके शर्मा, प्रो मनीषा वर्मा, डॉ अविनाश पारीक, डॉ प्रमोद कुमार पाण्डिया, डॉ सुनील कुमार, डॉ कल्पना मौर्य, डॉ महेश शर्मा, डॉ दयानिधि पाठक, डॉ रामावतार गोदारा, डॉ रंजीता बैद, डॉ उमा सैनी, डॉ कुलराज व्यास, डॉ वेदप्रकाश, डॉ अल्पना शर्मा, डॉ पूराराम, डॉ प्रवीण शर्मा ने विविध विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत कर शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को लाभान्वित किया। कार्यशाला के समन्वयक डॉ दिनेश चन्द्र मौर्य और सह समन्वयक डॉ कैलाश पारीक ने समस्त कार्यशाला का संयोजन किया।