केंद्र के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में मरुस्थलीय ज़िले शामिल ना होना अन्यायपूर्ण - राठौड़
--बाडमेर--
सीमावर्ती क्षेत्र विकास के लिये 4800 करोड़ के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में पश्चिमी क्षेत्र शामिल नहीं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के रिसर्च विभाग के राजस्थान प्रदेश संयोजक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य आज़ाद सिंह राठौड़ ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र व उसके अंर्तगत आने गाँवों व क़स्बो के विकास हेतु अलग से बजट प्रावधान व आने वाले वर्षों के लिए बने प्रोग्राम में पश्चिमी क्षेत्र की सीमा क्षेत्र के ज़िलों को शामिल नहीं करना अन्यायपूर्ण है। भारत की उत्तरी सीमा पर लगते पहाड़ी क्षेत्र सामरिक दृष्टि से जीतने महत्वपूर्ण है उतने ही पश्चिमी क्षेत्र के भी ही है। भौगोलिक व विकास की दृष्टि से भी बराबर रूप से दुर्गम, अविकसित व पिछड़े है। इस सब के बावजूद सीमावर्ती क्षेत्र को विकसित करने के प्रोग्राम में पश्चिमी क्षेत्र को नयी विशेष योजना में शामिल नहीं करना ग़लत निर्णय है। यह फ़ैसला केंद्र की भाजपा सरकार में लिये जाने वाले फ़ैसलों में क्षेत्रवाद के हावी हो जाने की नज़ीर है।
कांग्रेस पार्टी के युवा नेता आज़ाद सिंह राठौड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार (15 फरवरी) को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें कई योजनाओं को मंजूरी दी गई. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मंत्रिमंडल ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए 4800 करोड़ रुपये आवंटित करने की मंजूरी दी है.
राठौड़ ने बताया कि सरकार के मुताबिक़ इस प्रोग्राम के तहत उत्तरी सीमा पर कनेक्टिविटी में सुधार के लिए काम करने जा रही है. हालांकि, उन्होंने इस कार्यक्रम के बारे में विवरण नहीं दिया था। सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, भारत की उत्तरी सीमा के साथ सटे गांवों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए इस वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसमें सिर्फ़ लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के कुल 19 जिलों के 2966 गांवों में सड़क और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने हेतु बजट का प्रावधान होगा। इसके अलावा ये कार्यक्रम बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (बी.ए.डी.पी) से अलग होगा और केंद्र सरकार इसका खर्च वहन करेगी.
राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर ज़िलों के लिये यह योजना एक वरदान साबित हो सकती थी परंतु बेहद उपेक्षा से इन ज़िलों को इस योजना से वंचित रख थार मरुस्थल का व थार के निवासियों का उपहास उड़ाया है।
केंद्र सरकार बाड़मेर-जैसलमेर के लिये रेल सुविधाओं, हवाई सेवा सुविधाओं, डेजर्ट नेशनल पार्क से जुड़े मसलों पर तो अनदेखी करता आया ही है अब केंद्र की बजट योजनाओं से पश्चिमी क्षेत्र को योजनाब्ध तरीक़े से अलग करना थार के लोगो के साथ केंद्र सरकार द्वारा बड़ा धोखा है। राठौड़ ने राजस्थान के सभी सांसदों को भी पत्र लिख कर इस योजना में राजस्थान के ज़िलों को शामिल करने के लिये कहा है। बाड़मेर-जैसलमेर सांसद जो केंद्र में मंत्री भी है उन्हें या तो अपने निष्प्रभावी पद से इस्तीफ़ा देना चाहिये या बाड़मेर-जैसलमेर के साथ केंद्र के दोहरे और दोयम रवैये के ख़िलाफ़ खुल कर बोलना चाहिए व थार के लोगो के हितों पर हो रहे कुठाराघात को रोकने का पुरज़ोर प्रयास करना चाहिये। शहर के प्रबुद्ध जनों व युवाओं से चर्चा के दौरान भी इस योजना में राजस्थान के ज़िलों को शामिल नहीं करने के बड़ा रोष है।