मानवता की सेवा ही बनती है आने वाले कल के लिए वरदान- राठौड़

मानवता की सेवा ही बनती है आने वाले कल के लिए वरदान- राठौड़


आपणी पाठशाला निर्माण में भमाशाहों ने दिल खोलकर दिया दान
आपणी पाठशाला भवन की रखी आधारशिला
चूरू। समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के चले अभियान और उनके बच्चों को शिक्षित करने के चले अनुष्ठान के लिए कच्ची झोपड़ी से घुमन्तु और भीख की लाचारी झेल रहे परिवारों के बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाने वाले युवा धर्मवीर जाखड़ और यहां पढ़ रहे उन बच्चों के सपने को गुरुवार को तब पंख लग गए जब जिला मुख्यालय के निकट देपालसर मार्ग पर आपणी पाठशाला के नए भवन की आधारशिला रखी गई। 
कच्ची झोपड़ी से निकल कर कभी किसी के भवन तो कभी खुले में चलनेवाली आपणी पाठशाला को चलानेवाले धर्मवीर जाखड़ जिन्होंने पुलिस में सेवा देते हुए एक विद्या के मंदिर के माध्यम से समाज की मुख्यधारा से कटे बच्चों को शिक्षित कर राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक बनाने की जो मुहिम छेड़ी थी वह आज एक ओर उंचे पायदान की ओर बढ़ी और गुरुवार को आपणी पाठशाला के अपने भवन के निर्माण की आधारशिला रखी तो भामाशाहों के हाथ मदद को उठ खड़े हुए। 
आपणी पाठशाला के भवन शिलान्यास समारोह में बतौर अतिथि आए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भी अपने आप को रोक नहीं सकें और उन्होंने विधायक कोटे से 11 लाख रुपए भवन निर्माण में लगाने की घोषणा की। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज शहीदों की शहादत को नमन करने का दिवस है। भारत को गुलामी जंजीरों को तोड़ने के लिए देश को बड़ी कुर्बानियां देनी पड़ी। अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और रामप्रसाद बिसम्मल जैसे अनेक जवानों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने मां भारती का जयघोष करते हुए फांसी के फंदे को गले लगा लिया। उन्होंने अमर शहीदों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि आपणी पाठशाला की स्थापना कर कर्मवीर बने धर्मवीर ने मानवता की सेवा का एक ऐसा अभिनव अनुष्ठान किया जो आनेवाले कल के लिए वरदान बनेगा। उन्होंने भवन निर्माण में सहयोग देने वाले भामाशाहों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अपने पुरुषार्थ से अर्जित धन को शिक्षा के लिए दानकर यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के सपनों को साकार किया है। उन्होंने कहा यह एक महायज्ञ है जिसमें जब भी उनकी आवश्यकता पड़ेगी तो वे आहुतियां देने को तैयार रहेंगे।
उत्कर्ष संस्थान के संचालक निर्मल गहलोत ने पठाशाला भवन निर्माण के लिए 21 लाख रुपए देने की घोषणा करते हुए कहा कि चूरू की यह आपणी पाठशाला न केवल शिक्षा बल्कि मानवता के विकास का महत्वपूर्ण उपक्रम है। समारोह में पूर्व जिला प्रमुख हरलाल सहारण, श्रवण रेवाड़, धनपत गोदारा, प्रो.एच आर ईशराण, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक कुमार अजय, मुकेश पंचोली, रवि सुथार कोमेडियन, श्रवण गडाणा, नरेन्द्र भारतीय, शैतानसिंह कविया, अंजू नेहरा, आशुतोष शर्मा, रैणुका सौलंकी, अभिलाषा रणवां, उम्मेदसिंह जाखड़, एडवोकेट गोवर्धनसिंह आदि अनेक प्रतिनिधियों ने भागीदारी दी। आपणी पाठशाला के मुखिया धर्मवीर जाखड़ ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। 
इन्होंने दिया दिल खोलकर आर्थिक सहयोग 
साहवा की सुभाष शिक्षण संस्थान के निदेशक गुरुदत ढ़ाका ने पांच लाख रुपए का सहयोग किया। उत्कर्ष क्लासेज जोधपुर के कुमार गौरव ने एक लाख रुपए का सहयोग प्रदान किया। सूरत प्रवासी समाजसेवी पुसाराम गोदारा ने 2 लाख 51 हजार रुपए का सहयोग करने के अलावा और आर्थिक सहयोग का संकल्प किया। मनसुख सेवा स्मृति संस्थान की दुर्गादेवी ने विद्यालय परिसर को हराभरा करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए आर्थिक सहयोग किया। गुरुदत ढ़ाका ने पांच लाख, पांच लाख पचास हजार, एनआई दुबई जगदीश सिंह ने साढ़े पांच लाख, नथुराम बिजारिया ने दो लाख ग्यारह हजार, सूरज जाट समाज के अध्यक्ष मालाराम खोजा ने दो लाख इक्कावन हजार, ग्रीन गार्डन निर्माण के लिए अभिलाषा रणवां ने एक लाख रुपए, श्रवण रेवाड़ ने एक लाख इक्कावन हजार, हीरालाल गोदारा ने एक लाख रुपए, सुभाष चारण ने 51 हजार रूपए, विजयराज बुडानिया ने दो बैग सीमेन्ट तथा मुकेश पंचोली ने ग्यारह हजार रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा की। इसके अलावा अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहयोग किया।  
इस अवसर पर आपणी पाठशाला के बच्चों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। बच्चों ने देश भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी तो श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उन्हें प्रोत्साहित किया। आपणी पाठशाला के बच्चों ने देश भक्ति और लोक गीतों के साथ नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियां दी। इसके अलावा मधुर स्पेशल संस्थान के बच्चों ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। समारोह का सफल संचालन करते हुए आर्किटेक्ट अनुराग शर्मा ने आपणी पाठशाला के निर्माण की पृष्ठभूमि का रेखांकित किया। संचालन में सहयोगी रहे राजस्थानी साहित्यकार विनोद स्वामी ने राजस्थानी कविता प्रस्तुत की।