दुर्लभ जन्मजात (कंजनाइटल) ट्यूबरक्यूलोसिस से पीडित 27 दिन के नवजात को मिला जीवनदान

दुर्लभ जन्मजात (कंजनाइटल) ट्यूबरक्यूलोसिस से पीडित 27 दिन के नवजात को मिला जीवनदान

 

 

 

जयपुर, कहते हैं कि किसी रोगी का समय पर निदान और उपचार मिल जाए तो उसे किसी भी घातक बीमारी से बचाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ यहां रुक्मणी  बिरला हास्पिटल  में हुआ। यहां 27 दिन के एक नवजात शिशु को निदान के लिए उसके परिजन लेकर आए। शिशु को सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी, लिहाजा उस समय उसे तत्काल वेंटिलेटर पर लिया गया ताकि उसके शरीर में सही तरीके से ऑक्सीजन पहुचाई जा सके।

वेंटिलेटर पर रहते हुए रुक्मणी  बिरला हास्पिटल  के सीनियर कंसलटेंट पिडियाट्रिकस एण्ड नियोनेटोलॉजी डॉ विवेक गुप्ता ने इस शिशु की एक्सरे सहित अन्य जांचे करवाई। एक्सरे में गंभीर निमोनिया होना पाया गया। तदनुसार शिशु को विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ दी गई। इन एंटीबायोटिक्स का भी कोई असर न देखते हुए शिशु को टीबी आशंका व्यक्त की गई और उसी के अनुसार टीबी की  जांच की गई तो उसे कंजनाइटल ट्यूबरक्यूलोसिस होना पाया गया। यह एक दुर्लभ रोग है जो वर्ल्डवाइड लगभग 450 शिशृओं में ही दर्ज किया गया है।

 

रुक्मणी  बिरला हास्पिटल के डॉ विवेक गुप्ता ने बताया कि शिशु को पहले 2 दिन हाई फ्रीक्वेंसी वेंटीलेटर पर रखा गया उसके बाद 10 दिनों के लिए मैकेनिकली कन्वेंशनल वेंटीलेटर पर रखा गया |  एंटीबायोटिक्स और वेसोप्रेसरस् शुरू किए गए, लेकिन इसका भी कोई प्रभाव नजर नहीं आया। एक्सरे करने पर दाहिने फेफडे़ में कन्सोलिडेशन के साथ ही नोड्यूलर ओपेसिटी का पैच भी नजर आ रहा था। टीबी का संदेह पाए जाने पर इसे जीन एक्सपर्ट को भेजा गया जहां से पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर एटीटी और स्टेरॉयड शुरू किए गए जिससे शिशु में सुधार नजर आने लगा। हमारे आईसीयू में बहुत कठिन कोर्स के बाद 39वे दिन शिशु की स्थिति सामान्य नजर आने लगी, इस शिशु को आज अस्पताल ने छुट्टी देदी गई है। माता पिता के मुस्कुराते चेहरे को देखना हम सभी के लिए काफी संतोषजनक था। इसके लिए डॉ  विवेक गुप्ता ने अपने सहयोगियों और एनआईसीयू के कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया। इसी प्रकार की असाधारण कडी मेहनत और देखभाल के लिए इस अस्पताल को शहर में काफी जाना जाता है।  

 

गौरतलबहै कि जन्मजात टीबी Congenital (जन्मजात) एक संक्रमण है जो गर्भावस्था के के दौरान या सामान्य जन्म प्रक्रिया के दौरान एक शिशु को होता है। गर्भावस्था के दौरान ट्यूबरकल बेसीलाई जीवाणु प्लेसेंटा या मातृ जननांग पथ के संक्रमण से हो सकता है, जो भ्रूण को प्लेसेंटा से गर्भनाल तक फैलने वाले हेमटोजेनस या प्लेसेंटल या जननांग संक्रमण से दूषित एमनियोटिक द्रव अंतर्ग्रहण द्वारा फैल सकता है।