साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा का अभिनंदन काव्य गोष्ठी में कवियों ने सुनाये कविता व गीत
सुजानगढ़ (नि.सं.)। सर्वोदय भवन छापर में साधक भंवरलाल मूंधडा की स्मृति में आयोजित काव्य गोष्ठी में सुजानगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा का अभिनंदन किया गया। डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा को ‘‘साधक श्री भंवरलाल मूंधडा सर्वोदय सम्मान’’ प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप डॉ. घनश्याम नाथ को अभिनंदन पत्र, साफा, शाॅल, श्रीफल व साहित्य भेंट किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि गौरी शंकर ‘भावुक’ ने आयोजन की पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुए साधक श्री मूंधड़ा के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में बताया।
आयोजन के संयोजक कन्हैयालाल स्वामी ने स्वागत भाषण देते हुए छापर में हर महीने काव्य गोष्ठी करने और उसमें साहित्य, समाज व कला जगत के किसी महनीय व्यक्तित्व का सम्मान करने की योजना पर प्रकाश डाला। आयोजन समिति के शंकरलाल सारस्वत ने सम्मानित डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि छापर की पुण्य धरा पर सम्मानित होना गौरव की बात हैं। उन्होंने कहा कि छापर में आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी से सुजलांचल के साहित्यानुरागियों को एक मंच प्रदान होगा। विशिष्ट अतिथि साहित्यानुरागी चंचल दुधोड़िया थे। सम्मान समारोह में वन्यजीव विशेषज्ञ बृजदान सामौर , भागीरथ सुथार , पार्थ सोनी आदि ने विचार व्यक्त किए। सम्मान समारोह का संचालन राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक चैनरूप दायमा ने किया। सुजला साहित्य संगम के तत्वावधान में आयोजित इस प्रथम मासिक काव्य गोष्ठी बसन्तोत्सव का शुभारंभ माॅं सरस्वती के आगे दीप प्रज्जवलित कर हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम शंकर सारस्वत ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इसके पश्चात् सुजानगढ़ के कवि मदनलाल गुर्जर सरल ने ‘जीवन में अगर सुख ही होता मंदिर जाता क्यूं कोई.. और ‘बस्तौ ल्यादै रै मावड़ली म्हैं पढ़बा ज्यासूं रै.. गीतों की सुंदर प्रस्तुतियां दी। छापर के पं. मधुसूदन उपाध्याय ने हास्य व्यंग्य की रचना -के करूं कठै जाऊं, कठिनै ईं ढोई कोनी.. से सबका ध्यान आकर्षित कर दाद पाई। आबसर के बाबूलाल स्वामी ने -बसन्त आया हैं और इक्कीसवीं सदी ने अपना बाइसवां साल बिताया है.. सुनाकर आनंदित किया। वरिष्ठ कवि गौरी शंकर भावुक की रचना -टूटी टपरी के भीतर के घावों को.. और विदाई गीत-मायड़ री आंख्यां रो तारो हैं.. को करतल ध्वनि से सराहना मिली। कवि डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने भी इस अवसर पर अपनी रचना के माध्यम से कविता की महत्ता बताई। नामकरण की महत्ता पर उनकी कविता तैमूर को भी सराहना मिली। कार्यक्रम में छापर की सुविधा नाहटा, कन्हैयालाल स्वामी, चमन दुधोड़िया आदि ने भी काव्य पाठ किया। इस अवसर पर विजय कुमार प्रजापत, सत्यनारायण शर्मा, योगेश कुमार नाई, कुलदीप सिंह, नारायण सिंह, जितेन्द्र स्वामी, संतोष कुमार, घमंडी खान, रविकांत रतावा, सुमन जैन आदि उपस्थित थे।