भ्रामक विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को अवमानना की चेतावनी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों और चिकित्सा दावों के खिलाफ कार्रवाई में नाकाम राज्यों को फटकार लगाते हुए अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैर-अनुपालन की स्थिति में अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए कि वे भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई का ब्यौरा पेश करें। पिछले आदेशों के बावजूद कई राज्यों ने समुचित कदम नहीं उठाए, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।
दिल्ली, कर्नाटक और पांडिचेरी जैसे राज्यों की निष्क्रियता पर कोर्ट ने सवाल उठाए। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने शेड्यूल तय किया, जिसके तहत 10 फरवरी, 24 फरवरी और 17 मार्च को विभिन्न राज्यों के अनुपालन की समीक्षा की जाएगी।
पीठ ने राज्यों से ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज अधिनियम, 1954 और अन्य कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के अपराधियों की पहचान में कोई लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।