"सड़क सुरक्षा अभियान में दिखी खानापूर्ति, नियमों की अनदेखी बनी चिंता का विषय"

"सड़क सुरक्षा अभियान में दिखी खानापूर्ति, नियमों की अनदेखी बनी चिंता का विषय"

अलवर। जिले में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और यातायात नियमों के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित 11 दिवसीय सड़क सुरक्षा एवं जीवन रक्षा कार्यक्रम* महज औपचारिकता बनकर रह गया। अभियान के बावजूद सड़कों पर यातायात नियमों का उल्लंघन और लापरवाही साफ देखी जा रही है।  

जमीनी हकीकत: 
कहीं क्षमता से अधिक मालवाहक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, तो कहीं चालक तेज गति और ओवरटेकिंग में नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन लापरवाहियों के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि, प्रादेशिक परिवहन विभाग और यातायात पुलिस केवल लक्ष्य पूरा करने में जुटी रही। इस दौरान कुछ वाहनों को रोकने या सीज करने की जगह खानापूर्ति कर दी गई, जिससे अभियान का प्रभाव नगण्य रहा।  

अधिकारियों की उदासीनता: 
यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी केवल अभियान के आंकड़े पूरा करने में लगे रहे, जबकि सड़क पर नियमों के उल्लंघन को नजरअंदाज किया गया। इस स्थिति ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि नियम तोड़ने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई होती, तो इसका सकारात्मक असर दिख सकता था।  

जनता पर जिम्मेदारी:  
इस हालात में नागरिकों को अपने जीवन की सुरक्षा के लिए खुद सतर्क रहना होगा। यातायात नियमों का पालन करना और लापरवाह ड्राइवरों से बचाव करना अब जनता की प्राथमिकता बन गई है।  

निष्कर्ष:
सड़क सुरक्षा अभियान में लापरवाही और खानापूर्ति ने दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयासों को कमजोर कर दिया है। बिना सख्त कार्रवाई और प्रभावी क्रियान्वयन के, ऐसे अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक सबकुछ "भगवान भरोसे" चलेगा।